सैयारा रिव्यू: गहरे जज्बात, रोमांस और संगीत की नई उड़ान

समय ताम्रकर

शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 (14:34 IST)
एक्शन फिल्मों की इस समय ऐसी आंधी चल रही है कि यंग ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनाए जाने वाली रोमांटिक मूवी गायब सी हो गई हैं, जबकि सिनेमाघर के ‍टिकट खरीदने वाला यह सबसे बड़ा वर्ग है, जो इस तरह की फिल्में पसंद करता है। 
 
नए और युवा कलाकारों को लेकर रोमांटिक मूवी बनाने का चलन आज से कुछ वर्ष पहले तक कायम था। निर्देशक मोहित सूरी ने नए कलाकार या टिनी स्टार्स के साथ इस तरह की रोमांटिक ‍फिल्में खूब बनाई है और कामयाबी भी हासिल की है। 
 
उनका एक ‍टिपीकल फॉर्मूला है- भावनात्मक गहराई, संगीत और डार्क रोमांस, जिसके इर्दगिर्द वे अपनी फिल्मों का ताना-बाना बुनते हैं और यही बात उनकी ताजा ‍फिल्म ‘सैयारा’ में भी नजर आती है। सैयारा यानी कि तारों के बीच भटकता सितारा। 
 
मोहित सूरी पर महेश भट्ट की फिल्मों का प्रभाव रहा है। महेश की फिल्म के ज्यादातर नायकों में गुस्सा भरा रहता है, पिता के खिलाफ आक्रोश रहता है। ‘सैयारा’ का नायक कृष भी कुछ इसी तरह का है और बतौर संगीतकार दुनिया में नाम कमाना चाहता है। 


 
वाणी को उसके प्रेमी ने धोखा ‍दिया है और इसका उस पर गहरा असर हुआ है। वह लिखती है। कुछ मुलाकातें दोनों को नजदीक ले आती है, लेकिन एक ऐसी घटना घटती है जो वाणी और कृष की दुनिया हिला देती है। 
 
सैयारा की कहानी में ज्यादा उतार-चढ़ाव या अनोखापन नहीं है, लेकिन मोहित का प्रस्तुतिकरण फिल्म को देखने लायक बनाता है। सैयारा के रोमांस में केवल प्यार या फूलों की बातें नहीं है, बल्कि दर्द, बलिदान और टूटे हुए रिश्तों के जरिये बात को आगे बढ़ाया गया है। किरदारों की जटिलता यहां भी नजर आती है। 
 
मोहित की फिल्मों के नायक अक्सर पूरी तरह सही या गलत नहीं होते, बल्कि ग्रे ज़ोन में जीते हैं और यही बात कृष को भी खास बनाती है जो किसी की भी परवाह नहीं करता। 
 
कृष और वाणी का अपने प्यार के लिए संघर्ष, जीवन की विफलताएं, मानसिक संघर्ष को मोहित ने खूबसूरती के साथ परदे पर उतारा है। 
 
मोहित सूरी की फिल्मों का संगीत उनकी सबसे बड़ी ताक़त है। उनके गानों में गहरी भावनाएं, दिल तोड़ देने वाले बोल और बेहतरीन मेलोडी होती है। सैयारा में भी अपनी इस खूबी का उन्होंने उपयोग करते हुए कहानी को आगे बढ़ाया है।  
 
स्क्रिप्ट परफेक्ट नहीं है और कमियां उभरती रहती हैं। जैसे वाणी और कृष अचानक एक-दूजे को चाहने लगते हैं, इसके लिए ठीक से सिचुएशन नहीं बनाई गई है। वाणी का अचानक आज के समय में इतने लंबे समय तक लापता रहना भी ठीक से जस्टिफाई नहीं किया गया है। 
 
कृष के अंदर इतना गुस्सा क्यों है, इसके लिए भी ठोस सीन नहीं लिखे गए हैं। वाणी के साथ जो समस्या होती है उसे भी सफाई से लिखा नहीं गया है, लेकिन मोहित अपने ‍निर्देशन के बल पर इन कमियों को कवर कर लेते हैं।

 
फिल्म के गीतकार और संगीतकार भी इस फिल्म के हीरो हैं। गीतकार ने फिल्म के हीरो-हीरोइन के अंदर चल रही भावनाओं को गीतों के जरिये शब्द दिए हैं और संगीतकारों ने मधुर धुनों से उन्हें संवारा है। संवाद के बजाय गाने कहानी को आगे बढ़ाने में ज्यादा काम करते हैं। 
 
अहान पांडे और अनीत पड्डा ने इस फिल्म के जरिये पूरे आत्मविश्वास के साथ सफर शुरू किया है। अहान ने गुस्से और भावनाओं को अच्छे से पेश किया है और अपने किरदार के उतार-चढ़ाव को दर्शाने में सफल रहे हैं। संवाद अदायगी पर जरूर उन्हें काम करना होगा क्योंकि उनके द्वारा बोले गए कई संवाद अस्पष्ट हैं। फिल्म सिंक साउंड में शूट की गई है और इसकी एक वजह यह भी हो सकती है। 
 
एक सीधी-सादी, संकोची लड़की के रूप में अनीत पड्डा अपने किरदार को विस्तार देने में सफल रही हैं। सपोर्टिंग कास्ट का भी मजबूत सपोर्ट फिल्म को मिला है। प्रोडक्शन डिजाइन और सिनेमाटोग्राफी ऊंचे दर्जे की है। 
 
बेहतरीन संगीत, गहरा रोमांस और जटिल किरदार ‘सैयारा’ की खासियत है और यंग ऑडियंस को यह फिल्म ज्यादा अपील करेगी। 
 

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