मैं भारत की मां, बहन या बेटी हूं

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-समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएंगी...
श्रद्धा में डाले पुष्प, जल हीन मुरझा जाएंगे...
स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे...
किन्तु 'निर्भयता' की जलाई अग्नि हमारे ह्रदय को प्रज्वलित करेगी...
जल हीन मुरझाए पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी ...

... दग्ध कंठ से 'दामिनी' की 'अमानत' आत्मा विश्व भर में गूंजेगी ...
स्वर मेरे तुम, दल कुचलकर पीस न पाओगे...
मैं भारत की मां बहन या बेटी हूं,
आदर और सत्कार की मै हक़दार हूं...
भारत देश हमारी माता है ,
मेरी छोड़ो, अपनी माता की तो पहचान बनो !!

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