कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

विकास सिंह

बुधवार, 1 मई 2024 (14:30 IST)
कोरोना महामारी के संक्रमण काल में लोगों को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए भारत में बड़े पैमाने पर लगाई गई कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गई है। कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की संभावना अब कितनी है, वैक्सीन के बूस्टर डोज लेने वालों  को कितना खतरा है और क्या है कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्टर इसको लेकर ‘वेबदुनिया’ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्था (ICMR)  के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख पद्मश्री डॉक्टर रमन गंगाखेडकर से एक्सक्लूसिव बातचीत की।ALSO READ: Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

कितने लोगों में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की संभावना?-‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉ. रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल के समय कोवीशील्ड वैक्सीन ने एक बड़ी आबादी को कोरोना वायरस से बचाया है। जहां तक वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात है तो हर दवा के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं।

जहां तक कोविशील्ड वैक्सीन की बात है तो इसके साइड इफेक्ट 10 लाख लोगों में से 4-7 लोगों में इसके साइड इफेक्ट होने की संभावना है। अगर देखा जाए तो कोरोना संक्रमण के समय जिन्होंने वैक्सीन ली थी, उसमें वैक्सीन के चलते कितने लोगों को कोविड से मौत होने के चांस कितने कम हुए थे।  
 ALSO READ: कोविशील्ड पर विपक्ष का पीएम मोदी से सवाल, हार्ट अटैक से मौत का जिम्मेदार कौन?
अब कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की कितनी संभावना?-‘वेबदुनिया’ से बातचीत से बातचीत डॉ. रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली है, उन्हें घबराने और डरने जरूरत नहीं है। कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की संभावना वैक्सीन लेने के एक महीने के अंदर ही थी। अब कोविशील्ड वैक्सीन लिए अब लंबा समय हो गया है तो अब उसके साइड इफेक्ट होने की संभावना बहुत कम थी। वह कहते हैं कि कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की संभावना वैक्सीन लेने के एक महीने के अंदर ही थी और अब तो काफी लंबा समय बीत गया है, ऐसे में लोगों को घबराने औऱ डरने की जरूरत नहीं है।

कोविशील्ड का बूस्टर डोज लिया तो कितना खतरा?-‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉ. रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों के मन में अब कई तरह के विचार स्वाभाविक रूप से आएंगे। कोई कहेगा कि मैंने एक ही डोज लिया था तो अच्छा किया था वहीं किसी के मन में डर आएगा कि मैंने तो कोविशील्ड का बूस्टर डोज लिया था तो मुझे साइड इफेक्ट की संभावना अधिक होगी।

इन सवालों पर ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉ. रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि वैक्सीन की पहली खुराक के बाद साइड इफेक्ट की जितनी संभावना होती है, वह दूसरी और तीसरी डोज के बाद और कम होती है। ऐसे में वैक्सीन की दो और तीन (बूस्टर डोज) लगाने वालों को डरने की जरूरत नहीं है।

कोविशील्ड वैक्सीन के क्या हैं साइड इफेक्ट?- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉ. रमन गंगाखेडकर कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में बताते हुए कह कोविशील्ड में TTS जो सिंड्रोम आया है, उससे स्ट्रोक आने का डर होता है। लेकिन अब वैक्सीन के चलते ऐसा होने का खतरा बहुत कम है। ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉ. रमन गंगाखेडकर फिर कहते हैं कि कोई भी वैक्सीन होती है तो उसका साइड इफेक्ट होता है। वैक्सीन का फायदा कितना होता है और उसके साइड इफेक्ट कितना होता है, इसके आधार पर वैक्सीन को मूंजरी मिलती है।

कोविशील्ड वैक्सीन पर क्यों सवाल?- कोरोना संक्रमण कॉल में लोगों को बचाने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन के टीके लगाए गए थे। भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ने इसका उत्पादन किया था। वहीं वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की एक अदालत में माना कि उसकी कोविड वैक्सीन लोगों में दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया कि उसकी कोरोना वैक्सीन जिसे दुनियाभर में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड के नाम से बेचा गया था, वह लोगों में खून के थक्के जमने समेत कई दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। यहा हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और प्लेटलेट्स गिरने का कारण बन सकती है। हालांकि कंपनी ने साफ कहा कि इतने बड़े लेवल पर टीकाकरण के बाद कुछेक लोगों में यह समस्या हो सकती है। ऐसा बेहद दुर्लभ मामलों में ही होगा और आम लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। 

कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव का खुलासा ब्रिटेन में जेमी स्कॉट नाम के एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका कंपनी के खिलाफ कोर्ट में केस किया है। उसका दावा है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की वैक्सीन लगवाने के बाद उसे ब्रेन डैमेज हुआ था। इस पर अपना जवाब दाखिल करते हुए कंपनी ने स्वीकार किया कि बेहद दुर्लभ मामलों में उनकी वैक्सीन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) की वजह बन सकता है। इसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी