भारतेंदु ने कविता, नाटक, व्यंग्य आदि विधाओं में रचनाएँ लिखी हैं। उनके कई नाटक और काव्य-कृतियाँ अपने प्रकाशन के तत्काल बाद ही प्रसिद्धि के शिखर तक पहुँच गए और आज भी उन्हें हिंदी की महत्वपूर्ण कृतियों में शुमार किया जाता है।
भारतेंदु रचित कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं :
नाटक - वैदिक हिंसा हिंसा न भवति (1873) भारत दुर्दशा (1875) सत्य हरिश्चंद्र (1876) श्री चंद्रावली (1876) नीलदेवी (1881) अँधेर नगरी (1881)
नोट : इसके अतिरिक्त भारतेंदु हरिश्चंद्र ने बांग्ला भाषा से ‘विद्यासुंदर’ नामक नाटक का हिंदी में अनुवाद किया था। संस्कृत से 'मुद्राराक्षस' और प्राकृत से 'कर्पूरमंजरी' नामक नाटकों का भी उन्होंने हिंदी में अनुवाद किया।