कुपोषण से बचाएँ अपने शिशु को

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कुपोषण बीमारी नहीं है, लेकिन है यह उससे भी खतरनाक। लगभग 50 प्रतिशत बच्चे कम पोषण पा रहे हैं और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। कुपोषण का अर्थ है गलत आहार, इसकी वजह से जो स्थिति बनती है, उसे कुपोषण कहते हैं। शरीर को रोज के काम के लिए कई पौष्टिक तत्वों की जरूरत होती, उस तत्व की कमी शरीर में कई दुष्प्रभाव डालती है।

देश में 47 प्रतिशत बच्चे कम व गलत आहार पा रहे हैं। कुपोषण का एक और प्रमुख कारण है उच्च जन्मदर, जिसकी वजह से सभी बच्चों को ठीक से आहार नहीं मिल पाता और माता-पिता भी उन पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते।

कुपोषण के दुष्प्रभाव

* कुपोषण के शिकार बच्चों का वजन नहीं बढ़ता, उनकी ऊँचाई और वजन दोनों आयु के हिसाब से कम होते हैं। साथ ही वे सुस्त व चिड़चिड़े होते हैं।

* अधिक कुपोषित होने पर बच्चे सुस्त पड़े रहते हैं, उनकी रुचि खेल-कूद में नहीं रहती, वे एक ही जगह पड़े रहना पसंद करते हैं। कुपोषण प्राथमिक स्तर पर है तो इसकी रोकथाम की जा सकती है।

* कुपोषण की स्थिति यदि बदतर हो गई है तो इसका इलाज घर पर नहीं हो सकता, अस्पताल में भरती कराना पड़ता है।

सही आहार बच्चे का

* तीन साल के बच्चे को दिनभर में 2 कप दूध, डेढ़ से दो कटोरी दाल, 3-4 कटोरी मिला-जुला अनाज 6 से 8 बार खिलाना ठीक रहता है। पानी भी बच्चे को साफ ही देना चाहिए, थोड़ भी शंका होने या कोई संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

* छह या सात माह के बच्चे को माँ के दूध के अलावा दो कटोरी मसला हुआ खाना दिनभर में थोड़ा-थोड़ा कर के खिलाना चाहिए।

* 8 से 10 माह के बच्चे को माँ के दूध के अलावा 3 कटोरी खाना दिनभर में खिला देना चाहिए।

* हर मौसम में आने वाले विभिन्न फल या उनका रस बच्चों को दें। ये फल प्रकृतिक ग्लूकोज, विटामिन तथा पौष्टिकता प्रदान करते हैं बच्चों को।
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