पिंडखजूर ठंड के दिनों में पूरे भारत में आसानी से उपलब्ध रहता है। इसका वृक्ष 30 से 40 फुट लंबा, 3 फुट चौड़ा हल्का भूरा रंग व पत्तियाँ 10 से 15 फुट लंबी होती हैं। यह 1 से डेढ़ इंच लंबा, अंडाकार आकार व गहरे लाल रंग का फल होता है। पिंडखजूर के अंदर का बीज अत्यधिक कड़क रहता है।
लीवर : यकृत के कार्य के लिए आवश्यक पाचक रस को बढ़ाने में मदद करता है।
कब्जीयत : फाइबर की अधिकता होने के कारण कब्जीयत दूर करता है।
वजन बढ़ाने में: कार्बोहाइड्रेड व कैलोरी की मात्रा ज्यादा होने के कारण वजन बढ़ाने में सहायक।
तंत्रिका तंत्र : शकर की मात्रा अधिक होने के कारण मस्तिष्क क्रियाओं की क्षमता बढ़ाने में सहायक।
मिनरल : आयरन व कैल्शियम की अधिक मात्रा होने के कारण शरीर में खून बढ़ाने व हड्डियों को मजबूत करने में सहायक।
थकान व चक्कर दूर करता है।
शरीर में रक्त संचार की क्रिया में मजबूती प्रदान करता है। संक्रामक रोग, जैसे सर्दी, खाँसी, जुकाम, बुखार से बचाव।