गाँधीगिरी के मुरीद हैं क्लिंटन

शुक्रवार, 6 जुलाई 2007 (23:58 IST)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा है कि दुनिया में आज पहचान की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है, जिसे भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भलीभाँति समझा था।

उत्तर अमेरिकी तेलुगू संघ (ताना) के 16वें वार्षिक कार्यक्रम में क्लिंटन ने यहाँ कहा दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम किस प्रकार सोचते और महसूस करते हैं और अपने बच्चों को किस तरीके से सोचना सिखाते हैं। यह सोचने का प्रतिरूप है।

उन्होंने कहा यह 21वीं सदी की दुनिया की प्रमुख चुनौती है। पूर्ण पहचान यही है कि आप दूसरों के संबंध में अपनी जिन्दगी को किस प्रकार परिभाषित करते है।

उन्होंने कहा गाँधी ने इस बात को समझा। गाँधी ने भारत के लिए एक सपना देखा था, लेकिन शुरु में ही पाकिस्तान के अलग होने से उनका दिल टूट गया। गाँधी ने अपने आत्मज्ञान से जाना।

उन्होंने कहा 21वीं सदी में एक समय ऐसा आएगा, जब भारतीय अर्थव्यवस्था, चीनी अर्थव्यवस्था और यूरोपीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी अर्थव्यवस्था से बड़ी होंगी। 21वीं सदी में ही हम किसी समय जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी का सामना करेंगे।

भारत से दोस्ती महत्वपूर्ण उपलब्धि : क्लिंटन ने कहा है कि भारत के साथ दोस्ताना संबंध मजबूत करना और आपसी सहयोग संबंधी भागीदारी बढा़ना देश की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।

उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को वाशिंगटन तलब किया और उन्हें युद्धविराम के लिए सहमत किया।

पूर्व अमेर‍िकी राष्ट्रपति ने कहा कि 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव की अमेर‍िका यात्रा के दौरान उन्होंने शीतकाल के
भारत-अमेर‍िका संबंधों को पीछे छोड़कर नए संबंधों की शुरुआत की थी।

इस अवसर पर उन्होंने विवादित ऑउटसोर्सिंग नीति का भी बचाव किया। ऑउटसोर्सिंग से भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं, लेकिन अमेर‍िका में कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

इससे पहले ताना ने क्लिंटन की संस्था को दस लाख डॉलर की सहायता राशि का चेक भेंट किया। यह संस्था भारत और अन्य देशों में एड्स/एचआईवी के उन्मूलन की दिशा में काम कर रही है। ताना के सम्मेलन को आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर भी संबोधित करेंगे।

गौरतलब है कि अमेर‍िका में तेलुगू भाषियों की खासी तादाद है। अमेर‍िका में सूचना तकनीक के क्षेत्र में कार्यरत भारतीयों में से 25 प्रतिशत कामगारों का संबंध आंध्रप्रदेश से है।

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