सरबजीत को न्‍याय क्‍यों नहीं मिला?

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013 (19:30 IST)
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लाहौर। बम धमाकों में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद, मौत की सजा पाए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के वकील ने उसकी सजा और कैद को न्याय की असाधारण निष्फलता कहा है।

1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में सरबजीत को मौत की सजा मिली हुई है। इन धमाकों में 14 लोग मारे गए थे।

सरबजीत के वकील अवैस शेख ने अपनी किताब 'सरबजीत सिंह : ए केस ऑफ मिस्टेकेन आईडेंटिटी' में उनके कारणों का खुलाया किया है जिनकी वजह से उन्हें लगता है कि सिंह की सजा और कैद न्याय की असाधारण निष्फलता है।

'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में गुरुवार को छपी एक खबर के अनुसार 199 पृष्ठों वाली इस किताब में शेख ने लिखा है कि सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में घुस आया था और इसके बाद उस पर बम धमाकों के आरोप लगा दिए गए।

किताब में सरबजीत के मामले में जांच, मुकदमे और अपील में कई गड़बड़ियों के बारे में बताया गया है। इस किताब में सरबजीत द्वारा अपने परिवार, भारतीय और पाकिस्तानी सरकारों को लिखे पत्र भी शामिल किए गए हैं।

शेख ने लिखा है कि सरबजीत को उचित न्यायिक सुनवाई नहीं मिली, मूल कानूनी मुद्दे नहीं सुलझाए गए और जांच एजेंसी ने नकली गवाहों को पेश किया।

उन्होंने लिखा है, सरबजीत निश्चत तौर पर गलत सजा का शिकार हुआ है, जिसकी वजह से उसे अपना पूरा वयस्क जीवन जेल में गुजारना पड़ा। लाहौर के तत्कालीन आयुक्त शाहिद रफी की शिकायत के आधार पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें मदनजीत सिंह (पिता मेहंगा सिंह) को आरोपी बनाया गया था। (भाषा)

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