कर्नाटक के छोटे शहरों में आईटी बूम

रविवार, 3 जून 2007 (16:30 IST)
बहुत हुआ बंगलोर हैदराबाद अब कर्नाटक सरकार अपने छोटे शहरों में आईटी कंपनियों को अतिरिक्त लाभ की पेशकश कर रही है।

यदि बड़ी निवेश कंपनियाँ कर्नाटक के छोटे शहरों की ओर चली गईं तो एक बार फिर ज्ञान क्षेत्र का प्रमुख गंतव्य कर्नाटक ही होगा।

यह भी कोशिश है कि गाँवों से इंजीनियरिंग स्नातक तैयार निकले और प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। इसके लिए विशेष आईटी शिक्षण संस्थान बनाए जाएँगे और इस तरह का पहला संस्थान मैसूर में बनेगा।

बंगलोर में बहुत ज्यादा भी़ड़ होने के बाद नायडू के कार्यकाल में आईटी कंपनियाँ हैदराबाद की ओर आकर्षित होने लगी थीं। परंतु पिछले कुछ समय से ब़ढ़ते भाव और फिर वक्फ बोर्ड के दावे के कारण इन कंपनियों की परेशानी ब़ढ़ने लगी।

प्रसिद्धि बरकरार : कर्नाटक के सूचना एवं प्रसारण मंत्री एमएन विद्यासागर कहते हैं कि हमने निवेश आकर्षित करने के लिए दो स्तरीय रणनीति बनाई है। हम यह साबित करना चाहते हैं कि ज्ञान क्षेत्र का ठिकाना कर्नाटक बना हुआ है।

भी़ड़ कम होगी : इसके अलावा हम ये भी चाहते हैं कि बंगलोर में जो भी़ड़ है, उसे किसी तरह से कम किया जाए। इसी के मद्देनजर कर्नाटक के दूसरे दर्जे के शहर मैसूर, मेंगलोर, हुबली, बेलगाम और गुलबर्गा में ढाँचागत सुविधाएँ ब़ढ़ाई जा रही हैं। इसके अलावा वहाँ की कनेक्टिविटी पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए निजी और लोक भागीदारी का नियम अपनाया जा रहा है।

बिदादी होगा आबाद : बंगलोर अभी भी आईटी निवेशकों की पहली पसंद है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने यहाँ से 30 किमी दूर बिदादी में 10,000 एक़ड़ जमीन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए दी है, ताकि वहाँ पर नॉलेज सिटी बनाई जा सके और विश्वस्तरीय सुविधाएँ प्रदान करे। सरकार द्वारा आमंत्रित निविदाओं में ढाँचागत सुविधाएँ तैयार करने के लिए 32 कंपनियाँ सामने आई हैं, इनमें विदेशी कंपनियाँ शामिल हैं।

गाँव से निकलेंगे इंजीनियर : राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने शैक्षणिक और औद्योगिक गतिविधियों को मिलाकर आईटी फिनिशिंग स्कूल बनाने की भी योजना बनाई है। इसके पीछे विचार ये है कि छोटे कस्बे और गाँवों से इंजीनियरिंग स्नातक तैयार कराकर ज्यादा से ज्यादा रोजगार प्रदेश में सृजित किया जाए। इसको सरकार की हरी झंडी दिख गई है। पहला आईटी फिनिशिंग स्कूल मैसूर में तैयार होगा। इसमें 1200 लाख रु. का निवेश होगा और हर साल यहाँ से निकलेंगे 5000 इंजीनियरिंग स्नातक।

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