अक्सर ठगे जाने वाले अल्कोहोल के शौकीन अब एक नई तकनीक से यह आसानी से पता लगा लेंगे कि जिस व्हिस्की को वह पी रहे हैं वह असली है अथवा नकली।
लीसेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक दल ने यह तकनीक विकसित की है जो बोतल के भीतर की शराब अथवा उसके लेबल से परावर्तित प्रकाश से यह अंतर पता लगा लेंगे।
न्यसाइंटिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल तौर पर खगोलीय अनुसंधान के लिए विकसित स्पेक्ट्रोमीटर से इसका पता लगाया जा सकता है। किसी बोतल और उसके डिब्बे से सतही तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन इस विधि से सटीक जानकारी मिलेगी।
नकली शराब में मिथेनॉल नामक रसायन की काफी मात्रा रहती है जो लीवर को नुकसान पहुँचा सकती है, साँस लेने में दिक्कत पैदा कर सकती है, आँखों की रोशनी छीन सकती है और जान भी ले सकती है।
सन् 2009 में यह पता लगा था कि रेडियोकार्बन डेटिंग का इस्तेमाल नकली शराब का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। उससे पता लगाया जा सकता है कि उसमें कितना कार्बन 14 है। (भाषा)