वैश्विक मंदी के कारण देश के निर्यात कारोबार की हालत पस्त है और चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में निर्यात एक वर्ष पूर्व की तुलना में 33.2 प्रतिशत नीचे रहा। देश के निर्यात में यह 14 वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट है। सरकार ने कहा है कि वह निर्यात में इस गिरावट की प्रवृत्ति को थामने के उपाय करेगी।
सोमवार को जारी सरकारी आँकड़ों के मुताबिक आलोच्य माह में आयात में भी 36.6 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसे घरेलू अर्थव्यवस्था में निवेश और उपभोक्ता माँग में नरमी तथा कच्चे तेल के दामों में गिरावट का नतीजा माना जा रहा है।
निर्यात लगातार सातवें माह गिरा है। अप्रैल 09 में यह 10.74 अरब डॉलर के बराबर रहा, जबकि पिछले वर्ष अप्रैल में 16.08 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज अपना कार्यभार ग्रहण करने के बाद कहा हमारा लक्ष्य है कि निर्यात कम से कम समान स्तर पर तो बना रहे।
उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि निर्यात में वृद्धि दर कम से कम स्थिर रहे। सिंधिया ने कहा कि सरकार के समक्ष विनिर्माण एवं निर्यात क्षेत्र में जान फूँकने जैसे कई प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर ध्यान केन्द्रित किए जाने की जरूरत है।
अमेरिका और यूरोप सहित प्रमुख बाजारों में माँग सुस्त पड़ने से भारत का निर्यात 2008-09 में 3.4 फीसद की मामूली बढ़त के साथ 168.7 अरब डॉलर का रहा जबकि इससे पूर्व वित्तवर्ष में निर्यात 163 अरब डॉलर था।
सिंधिया ने कहा कि नई विदेश व्यापार नीति के जरिये कई विचारों को लागू किया जाएगा। विदेश व्यापार नीति अगस्त में पेश की जाएगी। उन्होंने कहा कि आसियान और दक्षिण कोरिया के साथ समझौते सहित कई मुक्त व्यापार समझौते के मसौदे को मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास ले जाया जाएगा। हालाँकि उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के साथ एफटीए पर कुछ और समय लग सकता है।
आलोच्य माह में कच्चे तेल के आयात में 58 प्रतिशत की कमी आई, जिससे कुल आयात 36.6 प्रतिशत कम रहा। आयात में तेज गिरावट से व्यापार घाटा एक वर्ष पूर्व इसी माह के 8.7 अरब डॉलर की तुलना में 5 अरब डॉलर तक सीमित रहा।