परीकथा जैसा रहा भारत का सफर

शनिवार, 12 जनवरी 2008 (16:13 IST)
सिर्फ एक मैच के अनुभव के साथ पहले ट्वेंटी-20 विश्व कप में उतरी भारतीय टीम का इस प्रतियोगिता का खिताब जीतने तक का सफर किसी परीकथा से कम नहीं है।

क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप के 'विश्व युद्ध' में भारत सिर्फ एक या दो खिलाड़ियों पर ही निर्भर नहीं रहा, बल्कि टीम एक इकाई की तरह खेली और हर मैच में उसे एक नया नायक मिला, जिसने जरूरत पड़ने पर टीम की कमान संभालते हुए उसे संकट से उबारा।

युवराजसिंह, वीरेंद्र सहवाग, आरपी सिंह, एस. श्रीसंथ, कप्तान महेंद्रसिंह धोनी, रॉबिन उथप्पा, रोहित शर्मा टूर्नामेंट के दौरान टीम के लिए संकटमोचक साबित हुए।

गुप 'डी' में स्कॉटलैंड के खिलाफ पहला मैच बारिश की भेंट चढ़ने के बाद भारत के लगभग सभी 'मैच करो या मरो' वाले रहे। सुपर आठ चरण में पहुँचने के लिए उसे पाकिस्तान को हराना था।

वह हालाँकि कम अंतर से हारने पर भी बेहतर नेट रन गति के आधार पर सुपर आठ में पहुँचा। भारत इस रोमांच की परकाष्ठा पर पहुँचे मैच को टाई होने के बाद 'बॉल आउट' में 3-0 से जीतने में सफल रहा।

सुपर आठ के पहले मैच में उसे न्यूजीलैंड के हाथों 10 रन से शिकस्त का सामना करना पड़ा और एक बार फिर उसके सामने इंग्लैंड और मेजबान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने दोनों मैच जीतने की चुनौती थी।

इंग्लैंड के खिलाफ मैच में भारत की जीत के नायक युवराजसिंह रहे, जिन्होंने तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्कों की मदद से 12 गेंद में 50 रन पूरे किए, जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास का सबसे तेज अर्धशतक है। गेंदबाजों ने भी इसके बाद अंतिम ओवरों में सटीक और सधी गेंदबाजी कर भारत को 18 रन से जीत दिलाई।

भारत को सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए इसके बाद मेजबान दक्षिण अफ्रीका के रूप में बड़ी चुनौती का सामना करना था।

भारत को मैच शुरू होने से पहले ही उस समय झटका लगा जब पिछले मैच के हीरो युवराज चोट के कारण मैच से बाहर हो गए।

मेजबान टीम ने चार गेंद में तीन बल्लेबाजों को आउट कर भारत को शुरुआत से ही परेशानी में डाला दिया, लेकिन टीम को इस बार युवा बल्लेबाज रोहित शर्मा ने 40 गेंदों में नाबाद 50 रन की पारी खेलकर 153 रन के सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचाया।

भारतीय गेंदबाजों ने इसके बाद आरपी सिंह की अगुआई में शानदार गेंदबाजी करके न सिर्फ अंतिम चार में जगह बनाई, बल्कि दक्षिण अफ्रीका को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता भी दिखाया।

सेमीफाइनल में क्रिकेट विशेषज्ञों ने भारत को कमतर आँकते हुए विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को जीत का प्रबल दावेदार बताया। टीम इंडिया ने हालाँकि सबको करारा जवाब देते हुए ऑस्ट्रेलिया को 15 रन से हराकर टूर्नामेंट से विदा किया और फाइनल में जगह बनाई।

सेमीफाइनल में भारत के लिए युवराज ने एक बार फिर पाँच चौकों और पाँच छक्कों की मदद से 30 गेंद में 70 रन की आतिशी पारी खेली। गेंदबाजी में इस बार श्रीसंथ ने जलवा दिखाया, जिन्होंने चार ओवर में 12 रन देकर ऑस्ट्रेलिया के दोनों सलामी बल्लेबाजों को पैवेलियन की राह दिखाई।

फाइनल में एशिया के इन दो क्रिकेट शेरों के बीच हुए मुकाबले में भारत ने अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी को पाँच रन से हराकर पहला ट्‍वेंटी-20 विश्व कप अपने नाम कर लिया।

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