फोर्ब्स इंडिया में छाई हरदा मंडी

शनिवार, 1 अगस्त 2009 (09:47 IST)
विश्व स्तरीय आर्थिक पत्रिका "फोर्ब्स" के भारतीय संस्करण "फोर्ब्स इंडिया" ने द्वितीय संस्करण में हरदा मंडी को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। मैग्जीन के 19 जून के अंक में "बैटल फील्ड हरदा" शीर्षक से तीन पृष्ठ का आलेख है, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं मंडियों में चल रही प्रतिस्पर्धा के संबंध में है।

2005 में राज्य शासन की नीति अनुसार मंडी बोर्ड ने प्रत्येक संभाग से एक आदर्श मंडी का चयन किया था। इसके अंतर्गत मंडियों का विकास करते हुए कृषकों एवं व्यापारियों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया था।

भोपाल संभाग में हरदा मंडी को आदर्श मंडी चयनित किया गया। जिन उद्देश्यों को लेकर मंडियों का चयन किया गया, उनके कार्यान्वयन में हरदा मंडी अग्रणी रही। आधुनिकीकरण की इस योजना के तहत मंडियों में अधोसंरचना, कम्प्यूटरीकृत विपणन, कृषकों को सस्ता भोजन, अनाज भंडारण आदि की व्यवस्था शामिल हैं।

परिणाम सामने हैं : शासन की अपेक्षा पर हरदा मंडी ने खरा उतरते हुए जो परिणाम दिए, वे आज सामने हैं। इसका मुकाबला बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ निजी संस्थाओं से भी है, जो मंडी के बाहर अनाज खरीदी कर रही हैं। कृषकों एवं व्यापारियों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करवाकर हरदा मंडी ने लगातार अपनी आय में भी वृद्धि की है।

फोर्ब्स ने आलेख में इसी तथ्य को रेखांकित करते हुए लिखा है कि हरदा मंडी में प्राप्त यह अनुभव यह बताता है कि सरकारी मंडी भी निजी या बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बेहतर परिणाम दे सकती है।

खरीदी में कमी : मैगजीन ने आलेख में हरदा मंडी क्षेत्र के गत वर्षों के आँकड़ों की तुलना करते हुए बताया कि आईटीसी और अन्य निजी संस्थाओं ने 2007 में क्षेत्र के 7.51 फीसद अनाज की खरीदी की थी, वह घटकर 2008 में 5.5 फीसद हो गया।

मार्च-08 से जुलाई-08 तक यह आँकड़ा 4.22 फीसद पर पहुँच गया, जो यह साबित करता है कि कुछ वर्ष से जो किसान बहुराष्ट्रीय कंपनियों के क्रय केद्रों की ओर आकर्षित हो रहे थे, वे पुनः मंडी की ओर वापस लौट रहे हैं। किसानों का मानना है कि हरदा मंडी में अच्छी सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं। कृषक रामदास गुर्जर का कहना है कि माल की तुलाई और भुगतान के अलावा अन्य सुविधाएँ यहाँ मिलती हैं। (नईदुनिया)

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