शिवराज के मंत्रियों की पाठशाला

रविवार, 1 फ़रवरी 2009 (22:37 IST)
भाजपा ने प्रदेश में दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई अपनी सरकार के चाल चरित्र और चेहरे को बेहतर बनाने के लिए रविवार से सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी की रमणीय वादियों में शुरू हुई मंत्रियों की दो दिवसीय कार्यशाला में उन्हें कार्यपद्धति, जनता के बीच छवि, व्यवहार और कामकाज के प्रचार के तरीके सिखाना शुरू किया है।

रविवार सुबह कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू ने समयानुसार बढ़ती जनअपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए शिवराज कैबिनेट के सदस्यों को पहले से अधिक काम करने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने मंत्रियों से कहा कि वे हर काम में पारदर्शिता बरतें और काम का समुचित प्रचार प्रसार भी करें।

इस कार्यशाला में पर्यटन मंत्री तुकोजीराव पवार को छोड़कर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एवं उनके 21 मंत्री भाग ले रहे हैं, जबकि शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस एवं जल संसाधन तथा आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया कुछ देरी से पहुँचे।

पवार शनिवार को यहाँ होटल की व्यवस्था चाक-चौबंद करने में लगे हुए थे, लेकिन आज कार्यशाला से अनुपस्थित रहे। चिटनीस एवं मलैया के देर से आने पर नायडू ने नाराजी प्रकट की।

भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर और स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में संचालित इस कार्यशाला में आईआईएम अहमदाबाद की पूर्व डीन डॉ. इंदिरा जे. पारेख और दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र एवं उनके सहयोगियों द्वारा शिवराज मंत्रिमंडल के सदस्यों को बेहतर कार्यक्षमता विकसित करने, बेहतर कामकाज के तरीके सिखाने के साथ-साथ जनता के बीच लोकप्रिय होने के नुस्खे समझाए जा रहे हैं।

प्रो. मिश्र ने मंत्रियों को साठ ‍बिन्दुओं वाले वस्तुनिष्ठ प्रश्न तैयार किए हैं, लेकिन शाम तक प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी मंत्री ने इसे हल कर लौटाया नहीं है।

कार्यशाला में कल दूसरे एवं अंतिम दिन आधुनिक प्रबंधन की नई विधियों तकनीक और शैलियों के प्रयोग से शासन प्रशासन को अधिक प्रभावी और परिणामकारक बनाने पर भी विस्तार से प्रकाश डाला जाएगा।

दो दिन की कार्यशाला के दौरान मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिपरिषद की अनौपचारिक बैठक भी होगी। बैठक में प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने की दशा और दिशा मुख्यमंत्री की प्रदेश के विकास और जनकल्याण की सात सर्वोच्च प्राथमिकताओं और शासन प्रशासन को जन केन्द्रित बनाने संबंधी विचार विमर्श होना है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री चौहान 'सुशासन के बिना विकास संभव नहीं' की अपनी मान्यता के अनुसार प्रदेश को सुशासित प्रदेश बनाने के लिए पूर्व में भी अनेक नवाचारी कदम उठा चुके हैं। इस कार्यशाला भी उसी श्रृंखला में एक नया कदम माना जा रहा है।

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