बीमार पड़े जब आपका दुलारा

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माता-पिता के लिए अक्सर यह पता लगाना मुश्किल होता है कि उनका नन्हा शिशु कब बीमार पड़ गया। शिशु बेचारा तो अपनी तकलीफ बता नहीं पाता, इसलिए आपको ही बीमारी के लक्षणों की जानकारी हासिल कर उन पर नजर रखनी होगी, इसलिए अपने अन्तरज्ञान पर भरोसा करना सीखें और जैसे ही आपको बच्चे की सेहत में कुछ गड़बड़ दिखने लगे, वैसे ही किसी डॉक्टर से सलाह लेने में भी संकोच न करें।

नीचे, बच्चों की कुछ आम बीमारियों के बारे में जानकारी दी जा रही है तथा उनसे निपटने का तरीका भी बताया गया है।

* सर्दी-जुकाम :
सर्दी-जुकाम के जाने-पहचाने लक्षण गले में खराश और बहती नाक एक ऐसे वायरस के कारण पैदा होते हैं, जिस पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं पड़ता, इसलिए जब तक स्वयं शरीर का प्रतिरक्षा-तंत्र (डिपेंस मैकेनिज्म) उस वायरस का मुकाबला करने के योग्य नहीं बन जाता, तब तक दवाएँ उसका कुछ नहीं बिगाड़ पातीं।

ऐसे में क्या करें? :
छोटे शिशुओं को सर्दी-जुकाम से ज्यादा परेशानी वास्तव में नाक बन्द होने से होती है, क्योंकि ऐसे में दूध पीते समय या सोते समय सांस लेना मुश्किल हो जाता है, इसलिए अपने डॉक्टर से शिशु की बंद नाक को खुलवाने का तरीका जान लें, ताकि आपका शिशु कम से कम आसानी से सांस तो ले सके।

* दस्त :
इसकी निशानी बार-बार पतला या बदरंग मल त्याग होना है। अगर इसके साथ उल्टी, बुखार या भूख खत्म हो जाने की शिकायत भी हो तो इससे शरीर का पानी खत्म होने लगता है, जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।

क्या करें :
तत्काल डॉक्टर से सलाह लें। मगर इस बीच शिशु को डीहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) से बचाएँ। इसके लिए शिशु को उबालकर ठंडा किए गए पानी में नमक और चीनी की एक-एक चुटकी मिलाकर बनाया घोल पिलाती रहें।

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