सरकार लकवे की शिकार नहीं : चिदंबरम

गुरुवार, 12 जनवरी 2012 (21:02 IST)
उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस दलील को गलत बताया कि सरकार लकवे की शिकार है।

चिदंबरम ने कहा, ‘यह तर्क कि सरकार किसी लकवे का शिकार है, ऐसा तर्क है जो पूरी तरह गलत, अपुष्ट और बेढंगा है।’ उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए विधायी प्रस्तावों की सूची से साबित होगा कि सरकार सक्रिय और कर्मठ रही है और उसने आवश्यक कानूनों के लिए प्रक्रिया शुरू की।

गृह मंत्री ने कहा, ‘हमारे संसदीय लोकतंत्र में सभी सरकारी कार्रवाई को कानून का समर्थन होना चाहिए। सरकार योजनाएं बना सकती है। हालांकि इन योजनाओं को कानून से समर्थन मिलना चाहिए इसलिए अधिकांश मामलों में जब तक कानून का समर्थन न हो, सरकारी फैसले अपूर्ण रह जाते हैं।’

संसद की कार्यवाही में बाधा और हंगामे पर टिप्पणी करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘पिछले कुछ संसद सत्रों की दुर्भाग्यपूर्ण कहानी यह रही है कि संसद उन कानूनों को पारित नहीं कर पाई, जो सरकार ने उसके विचारार्थ रखे थे।'

उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि अब उन सभी राजनीतिक दलों के लिए गहन चिन्तन का समय आ गया है, जिनकी संसद में उपस्थिति है और जो लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली में भरोसा रखते हैं।

चिदंबरम ने कहा कि तीन ऐसे व्यापक क्षेत्र रहे हैं, जिनमें कानून बनाने के इरादे से पेश किये गए सरकार के प्रस्ताव या तो आंशिक रूप से पूरे हुए या फिर बाधित हुए। ये तीन क्षेत्र भ्रष्टाचार रोधी कानून, शिक्षा और वित्त एवं कारोबार क्षेत्र से जुडे हैं।

उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक सहित कुल छह भ्रष्टाचार रोधी विधेयक पेश हुए। इनमें से दो विधेयक लोकसभा में पारित हो पाए। एक विधेयक पर संसदीय समिति की रिपोर्ट आई है जबकि अन्य स्थायी समितियों के पास हैं ।

गृह मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने नौ विधेयक पेश किये और इनमें से केवल एक शैक्षिक न्यायाधिकरण विधेयक लोकसभा में पारित हुआ । अन्य विधेयक स्थायी समितियों में विभिन्न स्तरों पर विचाराधीन हैं।

उन्होंने कहा कि वित्त एवं कारोबार क्षेत्र से जुड़े 11 विधेयक सरकार ने पेश किए लेकिन कोई भी विधेयक न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा में पारित हो सका। सभी विधेयक संसद की स्थायी समितियों के विचाराधीन हैं।

चिवदंबरम ने कहा कि सरकार ने अलग-अलग क्षेत्रों में दूरगामी परिणाम देने वाले विधेयक पेश किए, जिनमें भ्रष्टाचार रोधी कानून, शिक्षा और वित्त एवं कारोबार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। (भाषा)

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