एक सक्रिय राजनीतिक जीवन के बाद राष्ट्रपति भवन पहुंचने के बदलाव पर मजाकिया टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि मैं प्राचीन कलाकृति बन गया हूं।
देश के वित्तमंत्री का पद छोड़कर इसी वर्ष जुलाई में राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने वाले प्रणब मुखर्जी के सम्मान में आज सीआईआई द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह (राष्ट्रपति बनना) तस्वीर का दूसरा रुख है कि मैं भारतीय राजनीतिक गतिविधियों के मंच पर एक प्राचीन कलाकृति बन गया हूं।
उन्होंने कहा कि मेरी क्षमता अलग हो गई है, जहां मुझे एक फायदा है और एक भारी नुकसान भी है। फायदा यह कि मैं सलाह के तौर पर खुलकर बोल सकता हूं और नुकसान यह है कि मैं जो कुछ बोलता हूं, उसे अमल में नहीं ला सकता। राष्ट्रपति ने संसद में वित्तमंत्री के तौर पर अपने अंतिम भाषण को याद करते हुए एक बार फिर अपने शानदार सेंस ऑफ ह्यूमर का परिचय दिया।
ठहाकों और तालियों के बीच उन्होंने कहा कि लोकसभा में अपने अंतिम भाषण में मैं यह नहीं भूला कि शायद लोकसभा में यह मेरा अंतिम भाषण हो क्योंकि मैं उस परिसर में प्रवेश से वंचित होने वाला था। मुखर्जी ने कहा कि अब नई पीढ़ी को राजनीति में अपना दायित्व निभाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पुरानी पीढ़ी (राजनीति में हम सब जो हैं) अभी भी जगह भरे बैठी है। शायद हम में से कुछ को युवाओं के लिए जगह खाली कर देनी चाहिए। (भाषा)