पूरी दुनिया में ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद हिमालय के ग्लेशियर ही पानी के सबसे बड़े भंडार हैं। ये न केवल संपूर्ण भारत, बल्कि एशिया महाद्वीप की एक बड़ी आबादी का पोषण करते हैं। इनका संरक्षण निहायत जरूरी है।
अलकनंदा को पानी की आपूर्ति करने वाला सतोपंथ और अल्कापुरी ग्लेशियर तो असमय ही तेजी से पिघल रहा है, जिससे अलकनंदा में जल प्रवाह कभी अचानक बढ़ जाता है और कभी अचानक घट जाता है। पिछले कुछ सालों से यह अनियमितता देखी जा रही है।