भारत में 10000 और अदालतों की जरूरत

रविवार, 8 फ़रवरी 2009 (22:21 IST)
देश की न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन ने रविवार को कहा कि दायर याचिकाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उनके निस्तारण के लिए मुल्क में 10000 और अदालतें गठित करने की जरूरत है।

गुजरात उच्च न्यायालय में मॉडल ई-कोर्ट पायलट परियोजना का उद्घाटन करते हुए बालकृष्णन ने कहा कि प्रत्येक मामले को औसतन दो साल के अंदर निस्तारित करने और अपीलों की प्रक्रिया को औसतन चार साल में पूरा करने के लिए हमें 10000 और अदालतों की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें अगर और अदालतें गठित करने के लिए आगे नहीं आईं तो दुश्वारियाँ बढ़ जाएँगी। विकसित तथा अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत में जनसंख्या के हिसाब से न्यायालयों की संख्या काफी कम है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि देश में ग्रामीण स्तर पर कम से कम 4000 अदालतों की जरूरत है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को न्यायपालिका की मदद लेने का मौका मुहैया हो सकेगा।

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