मुझे लोकपाल दायरे में आने से परहेज नहीं

बुधवार, 29 जून 2011 (19:35 IST)
अपने को लोकपाल के दायरे में शामिल करने से कोई परहेज नहीं जताने के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने उच्च न्यायपालिका को इसके अंतर्गत लाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। दो घंटे तक चली इस बैठक में नईदुनिया के प्रधान संपादक आलोक मेहता भी शामिल थे।

प्रस्तावित लोकपाल विधेयक पर राष्ट्रीय सहमति बन जाने का विश्वास व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के अंतर्गत लाने से यह संविधान की भावना के विपरीत हो जाएगा।

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सिंह ने कुछ संपादकों से मंगलवार को यहां बातचीत करते हुए कहा कि उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों का मानना है कि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के अंतर्गत लाने से अस्थिरता पैदा होगी, जो कभी बेकाबू भी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि मुझे खुद लोकपाल के अंतर्गत आने में कोई हिचक नहीं है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री का कार्यालय भ्रष्टाचार निरोधक कानून के अंतर्गत आता है। प्रधानमंत्री के पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति ‘चौबीसों घंटे लोकसेवक होता है’ जिसे संसद अविश्वास मत के जरिए हटा सकती है।

मनमोहन ने कहा कि इस मामले में देश में अलग-अलग राय है और वह इस मामले में राजनीतिक दलों द्वारा निर्देशित होना चाहते हैं। सिंह ने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल दोनों प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने का विचार पहले ही व्यक्त कर चुके हैं।

उच्च न्यायपालिका के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में स्पष्ट आपत्ति है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को संविधान के दायरे में अपने मामलों को स्वयं संचालित करने के तरीके ढूंढने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सिंह ने सवाल किया कि अगर शीर्ष अदालत को लोकपाल के दायरे में ले आया गया तो वह पेचीदा मुद्दों पर फैसले कैसे करेगी।

मजबूत लोकपाल कानून के पक्षधर : भ्रष्टाचार को एक बड़ा मुद्दा मानते हुए उन्होंने कहा कि लोग इससे चिंतित हैं और लोकपाल जरूरी है, हालांकि यह रामबाण नहीं है। संपादकों से बातचीत में सिंह ने कहा कि हम व्यापक राष्ट्रीय सहमति कायम करने के लिए ईमानदारी से काम करेंगे ताकि मजबूत लोकपाल के लिए हम कानून बना सकें।

केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी कर्मचारियों को लोकपाल के अंतर्गत लाने की हजारे पक्ष की मांग के बारे में उन्होंने कहा कि मुझे शक है कि हमारी व्यवस्था इस दबाव को सहन करने में सक्षम हो पाएगी। हमें अपने आप को उच्च स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार तक केन्द्रित रखना चाहिए, जो कहीं अधिक घृणित है। उन्होंने कहा कि वे समाज के सदस्यों का सम्मान करते हैं और इसीलिए वे उनसे संवाद कायम किए हुए हैं।

हजारे के पीछे दूसरी शक्तियां : उन्होंने अण्णा हजारे से मार्च में मुलाकात के दौरान वादा किया था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक लाने के लिए प्रतिबद्ध है। सिंह ने कहा हालांकि दो-तीन दिन के भीतर ही उन्होंने पाया कि हजारे को ‘कुछ अन्य शक्तियां' नियंत्रित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इसी तरह उनकी सरकार ने योगगुरु रामदेव से पूरी ईमानदारी से बातचीत की थी। यह प्रयास इसलिए किया गया ताकि उनके साथ बेवजह की गलतफहमी पैदा न हो।

रामदेव से मुलाकात करने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी सहित चार मंत्रियों के दिल्ली हवाई अड्डा जाने से उठे विवाद पर स्पष्टीकरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी ‘अगवानी’ के लिए ऐसा नहीं किया गया था। बैठक इसलिए तय की गई थी कि उनके दिल्ली प्रवेश से पहले ही उनसे बातचीत हो सके।

रामदेव समर्थकों पर कार्रवाई गलत, लेकिन... : सिंह ने कहा कि लेकिन रामदेव ने जब बड़ी भीड़ देखी तो उन पर कुछ और ही असर हुआ। रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ रामलीला मैदान में मध्य रात्रि में हुई पुलिस कार्रवाई को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन साथ ही कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर अगले दिन कार्रवाई होती तो भीड़ उससे कहीं अधिक होती।

यह पूछे जाने पर कि क्या हजारे नौसिखिया हैं या राजनीति से प्रेरित हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार जिनसे बातचीत कर रही हो उनके उदेश्यों के बारे में सवाल करना उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार समाज के सदस्यों से संवाद करेगी, लेकिन किसी भी समूह को अपनी हर बात थोपने के लिए दबाव डालने का अधिकार नहीं है। उन्हें भी कायदे कानून का पालन करना चाहिए।

मैं बना रहूंगा : प्रधानमंत्री से मुलाकात के तुरंत बाद नईदुनिया के प्रधान संपादक आलोक मेहता ने बताया कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में आने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनके कुछ मंत्रिमंडल के साथियों की राय अलग है। साथ ही राजनीतिक दलों में भी इस मुद्दे पर मतभेद है। मेहता ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की अटकलों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि मुझे पद से हटाया नहीं जा रहा

सोनिया गांधी की सराहना : प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यकाल की सराहना करते हुए बताया कि सोनियाजी को मुझ पर पूरा भरोसा है। राहुल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताने संबंधी खबरों पर उन्होंने कहा कि पार्टी जब तक चाहेगी मैं इस पद पर बना रहूंगा और पार्टी के निर्णय अनुसार कार्य करूंगा।

विपक्ष से सहयोग नहीं : प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें विपक्ष से ‍कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। मारन के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि अगर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो जांच होगी और उसके आधार पर कार्रवाई भी की जाएगी। उत्तरप्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर मायावती से किसी प्रकार की बातचीत पर कहा कि वे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के संपर्क में है और हर प्रकार की मदद देने के लिए तैयार है।

प्रणब के कार्यालय में जासूसी नहीं : मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि जल्द ही इसकी प्रक्रिया प्रारंभ होगी। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के दफ्तर में हुई जासूसी के मामले में प्रधानमंत्री ने कहा कि वे आईबी की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं और उन्हें नहीं लगता कि किसी प्रकार की जासूसी हुई है।

प्रधानमंत्री की वरिष्ठ संपादकों के साथ यह दूसरी बैठक थी। इससे पहले प्रधानमंत्री ने इसी साल फरवरी में टीवी चैनलों के संपादकों से मुलाकात की थी। समाचारपत्रों के संपादकों के साथ सिंह ने आखिरी बार पिछले साल सितंबर में बातचीत की थी। (भाषा/वेबदुनिया)

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