रिश्ता बनाने में भारतीय बच्चे आगे

शुक्रवार, 16 नवंबर 2007 (16:08 IST)
भारतीय बच्चे बाल दिवस मना चुके हैं। इस अवसर पर उनकी प्रतिभा को दिखाने वाली यह रिपोर्ट खुशखबर है, जिसके अनुसार वैश्विक स्तर पर दूसरे देशों के साथ जुड़ाव स्थापित करने में ब्रिटेन के विद्यालयों के बच्चे खुद को अलग रखने की कोशिश करते हैं, वहीं भारतीय बच्चे वैश्विक स्तर पर संपर्क बनाए रखना पसंद करते हैं।

ब्रिटिश काउंसिल की ओर से 10 देशों के स्कूली बच्चों पर किए गए सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन देशों के बच्चे दूसरे देशों की सभ्यता, संस्कृति और सूचनाओं में दिलचस्पी लेते हैं, उनमें भारतीय बच्चे दूसरे स्थान पर हैं।

वहीं इस सूची में नाइजीरिया पहले स्थान पर है, जबकि ब्रिटेन के बच्चे वैश्विक जुड़ाव को सबसे कम पसंद करते हैं। इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के खुलासे के कुछ घंटों पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने जोर दिया कि जानकारियों और सूचनाओं के आदान-प्रदान में पूरी दुनिया को एकजुट होकर काम करना चाहिए।

इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन के एक चौथाई स्कूली छात्रों की विदेशी भाषा सीखने में कोई दिलचस्पी नहीं है, जबकि इसके विपरीत 97 फीसदी भारतीय स्कूली छात्रों को लगता है कि उन्हें विदेशी भाषा सीखनी चाहिए।

जब दुनिया भर के बच्चों से पूछा गया कि वे खुद को पहले अपने देश का नागरिक मानते हैं या फिर विश्व का तो इसके जवाब में भारत समेत अधिकांश देशों के बच्चों ने कहा कि वे अपने आप को पहले विश्व का सदस्य मानते हैं, जबकि ब्रिटेन, अमेरिका और चेक गणराज्य के बच्चों ने इसके विपरीत खुद को पहले अपने देश का नागरिक बताया।

ब्रिटिश काउंसिल के मुख्य कार्यकारी मार्टिन डेविडसन ने कहा कि हमारे स्कूली बच्चे दुनिया भर के बच्चों से पीछे रहने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अगर ब्रिटेन को अपनी स्थिति मजबूत करनी है तो युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में वैश्विक स्तर पर भागीदारी निभानी होगी।

इस सर्वेक्षण में 10 देशों के 11 से 16 वर्षीय 4 हजार 170 स्कूली बच्चों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण में ब्राजील, चीन, चेक गणराज्य, जर्मनी, भारत, स्पेन, ब्रिटेन, अमेरिका, नाइजीरिया और सऊदी अरब के उन बच्चों को शामिल किया गया, जिनके घर में इंटरनेट की सुविधा है।
(नईदुनिया)

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