सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करें-प्रतिभा

शनिवार, 23 अगस्त 2008 (20:10 IST)
राष्ट्रपति ने देशवासियों से भारत की 'वसुधैव कुटुम्बकम' की सांस्कृतिक अवधारणा और समृद्धशाली परंपरा को सीखने-समझने तथा उसके संरक्षण करने की अपील की है।

यहाँ एशियाटिक सोसायटी के 225वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा हम सभी को हमारी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना चाहिए। उसे आने वाली भावी पीढ़ी के लिये संरक्षित रखना चाहिए।

उन्होंने कहा भारत ने विश्व के सांस्कृतिक मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है और भारत एक प्राचीन और दुनिया का समृद्ध सांस्कृतिक धरोवर वाला देश है। यह हमारी आतंरिक शक्ति के कारण संभव हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा हमारी इस धरोहर और मूलभूत मूल्यों में बिना किसी बदलाव किए नई अवधारणा और विचारों को जोड़ सकते हैं। उन्होंने अपने भाषण में एशियाटिक सोसायटी के सवा दो सौ वर्ष के कार्यों की चर्चा करते हुए कहा सोसायटी भारतीय संस्कृति के बारे में देश के साथ-साथ विदेशी संस्थानों के साथ साझेदारी कर अपनी संस्कृति को विश्वस्तर पर विकसित करें।

राष्ट्रपति ने कहा देश की आर्थिक विकास और प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों विशेषकर कमजोर पिछड़े और वंचित लोगों को मिले इसके लिए जरूरी है कि उनके लिए बनाई गई योजनाओं का जिम्मेदारी के साथ क्रियान्वयन हो। उन्होंने कहा सरकार सामाजिक संगठन और सभी वर्गों की यह सामूहिक जिम्मेदारी है।

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