फर्जी दस्तावेज मामले में भारतीय महिला को होगी सजा

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वकील के रूप में नौकरी पाने के लिए अपनी उम्र और शैक्षिक योग्यताओं के बारे में झूठ बोलने वाली भारतीय मूल की महिला को दोषी पाया गया। उसे फर्जीवाड़े और साजिश के आरोप में सात साल तक की सजा हो सकती है।

लंदन में रहने वाली सोमा सेनगुप्ता (52) को न्यूयार्क के स्टेट सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह तक चली सुनवाई के बाद सभी आरोपों का दोषी पाया और फर्जी दस्तावेज और साजिश के मामले में आरोपित किया।

उनके खिलाफ अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि सोमा ने नौकरी पाने और व्यावसायिक मान्यता लेने के लिए शैक्षिक और पेशेवराना योग्यता के फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया।

गत दिवस जारी एक बयान में बताया गया कि सोमा को मैनहटन जिला अटार्नी साइरस वैंस द्वारा 22 मार्च को सजा सुनाई जाएगी।
वैंस ने कहा कि आरोपी ने 10 साल तक झूठ पर झूठ बोला।

सेनगुप्ता ने जन्म प्रमाण पत्र, कॉलेज और स्कूल के डिप्लोमा, विधि कॉलेज का प्रमाण पत्र समेत कई फर्जी दस्तावेज पेश किए थे। ऐसा करने में वह कानून व्यवसाय के सिद्धांतों के खिलाफ गईं और उन्होंने न्यूयार्क बार के नियमों का उल्लंघन किया।

सेनगुप्ता के वकील जेम्स कूसूरोस ने इस आरोप का विरोध नहीं किया पर कहा कि उनकी मुवक्किल अपील करेगी।

उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि उन्होंने जो काम किए हैं क्या उनके आधार पर उन पर यह आरोप लगाया जा सकता है और हम मजबूती से यह मानते हैं कि नहीं लगाया जा सकता।’ सेनगुप्ता जुलाई 2000 से जनवरी 2003 तक जिला अटॉर्नी के कार्यालय में काम करती रहीं। इसके बाद 2003 से 2007 तक वह मैनहटन की लीगल एड सोसाइटी से जुड़ी रहीं। (भाषा)

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