- आनंद चौधरी, जयपुर चार दिसंबर को होने जा रहे राजस्थान विधानसभा के चुनाव में इस बार उम्मीदवारों के साथ राजनीतिक पार्टियों की भी बाढ़ आ गई है। राजनीति में रुतबे की चकाचौंध और पैसे की चमक के कारण दो सौ सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में दो हजार से ज्यादा नेता अपनी किस्मत चमकाने में लगे हैं।
बुद्धिविवेकी विकास पार्टी, लोक पारितरन, राष्ट्रीय गरीब दल, राष्ट्रीय स्वर्ण दल, भारतीय बैकवर्ड पार्टी, राजस्थान देव सेना दल और धर्म निरपेक्ष दल जैसे नामों वाली कई पार्टियां हैं जिनका जन्म राजस्थान विधानसभा चुनाव के वक्त हुआ है। क्षेत्रीय स्तर पर चुनाव मैदान में डटी इन पार्टियों की बदौलत राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार 2194 रिकॉर्ड उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यानि विधानसभा की प्रत्येक सीट पर करीब 11 उम्मीदवार अपना भाग्य चमकाने में जुटे हैं।
2003 के मुकाबले राजनीतिक पार्टियों की संख्या में 36 फीसदी की बढोतरी हुई है। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा के साथ चुनाव लड़ने वाली राजनीतिक पार्टियों की संख्या 34 थी। इस बार यह संख्या बढ़कर 47 तक पहुंच गई है। कांग्रेस एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसने राज्य की सभी 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं जबकि भाजपा 193 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है।
भाजपा ने सात सीटें अपने सहयोगियों के लिए छोड़ी हैं। इनमें जनता दल यूनाइटेड और इंडियन नेशनल लोकदल प्रमुख हैं। कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी एक मात्र ऐसी पार्टी है जो 200 में से 199 सीटों पर भाग्य आजमा रही है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कई सीटें तो ऐसी हैं जहां पर मतदाता को मतदान के वक्त सभी उम्मीदवारों के नाम पढ़ने में ही कई मिनट का समय लगेगा।
दर्जनों प्रत्याशियों की भीड़ में मतदाता को अपने उम्मीदवार को खोजने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। जोधपुर की सूरसागर और जयपुर के विद्याधर नगर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में डटे हैं।