असम चुनाव में 75 फीसदी मतदान

सोमवार, 4 अप्रैल 2011 (22:34 IST)
PTI
असम में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत सोमवार को 62 सीटों पर कड़ी सुरक्षा और विद्रोहियों की धमकियों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न हुआ। पहले चरण के चुनाव में करीब 75 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी एमसी साहू ने कहा कि मतदान का प्रतिशत 75 से ऊपर जाने की संभावना है क्योंकि सुदूर क्षेत्रों से रिपोर्ट आना अभी बाकी है। चुनाव उपायुक्त आलोक शुक्ला ने नई दिल्ली में कहा कि चुनाव आज बहुत-बहुत शांतिपूर्ण रहा, हिंसा की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई।

साहू ने कहा कि चुनाव काफी शांतिपूर्ण रहा और दोपहर के बाद तक मतदान का प्रतिशत करीब 65 था जो बढ़कर 75 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि चुनाव अधिकारी अब तक सुदूर मतदान केन्द्रों से नहीं लौटे हैं, जिसके बाद ही मतदान का सही प्रतिशत पता चलेगा।

साहू ने कहा कि चुनाव काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा और केवल करीमगंज विधानसभा क्षेत्र में एक राजनीतिक दल के चुनावी एजेंट और कुछ मतदाताओं के बीच झड़प की घटना हुई थी, जिसके बाद कुछ देर के लिए चुनाव रोक दिया गया।

जेराइगाँव से आई खबर में कहा गया है कि उल्फा के फरार शीर्ष नेता और चुनावों का बहिष्कार करने का ऐलान कर चुके परेश बरुआ की माँ ने असम के डिब्रूगढ़ जिले में आज मतदान किया और कहा कि वह पहले ही लोकतंत्र में अपना विश्वास जता चुकी है।

राज्य के नाओबोइचा विधानसभा क्षेत्र के दो मतदान केंद्रों पर शत प्रतिशत मतदान होने का समाचार मिला है। वहीं ढाकुआखाना सीट पर 87 फीसदी मतदान हुआ। प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने इस सीट पर राज्य के खेल एवं संस्कृति मंत्री भरत चंद्र नारा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था।

मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, वरिष्ठ मंत्री प्रद्युत बोरदोलोई, अजंता नियोग, पृथ्वी माँझी, गौतम रॉय, भरत चंद्र नारा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत दत्ता, असम गण परिषद (अगप) के पूर्व अध्यक्ष वृंदावन गोस्वामी और भाकपा के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य प्रमोद गोगोई की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई।

पिछले 15 वर्षों में पहली बार जातीय कारबी लोंगरी उत्तरी कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट के 41 कार्यकर्ताओं ने कारबी आंगलांग जिले में बने दो विशेष कैंपों में मतदान कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लिया। अरविंद राजखोवा के नेतृत्व वाला उल्फा का बातचीत समर्थक धड़ा चुनावों से दूर रहा। वहीं, परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा के बातचीत विरोधी धड़े ने राज्य में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को धमकी दी थी।

उत्तरी कछार हिल्स जिले को दो स्वायत्त पहाड़ी जिलों में बाँटने की माँग को लेकर इंडिजनस पीपुल फोरम के नेतृत्व में हाफलांग थाना अंतर्गत 10 मतदान केंद्रों पर मतदान का बहिष्कार किया गया। इंडिजनस पीपुल फोरम हमर, कूकी और जेमे नागा आदिवासियों का संगठन है।

चुनाव के लिए करीब 35 हजार केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। दूसरे चरण के तहत राज्य की शेष 64 विधानसभा सीटों पर आगामी 11 अप्रैल को मतदान होगा। (भाषा)

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