करकरे के जैकेट मामले की जाँच के निर्देश

मंगलवार, 8 दिसंबर 2009 (16:10 IST)
सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर सुनवाई करते हुए यहाँ की एक स्थानीय अदालत ने शहर पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे की ‘लापता’ बुलेट प्रूफ जैकेट के मामले की जाँच करे।

करकरे गत वर्ष 26 नवंबर को मुंबई हमलों के दौरान कामा अस्पताल के निकट आतंकवादियों की गोलीबारी में शहीद हो गए थे।

मझगाँव के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आरके मलाबादे ने कल जेजे मार्ग पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक को आदेश दिए कि वे मामले की जाँच करें और 30 जनवरी को अदालत को रिपोर्ट सौंपें। गौरतलब है अदालत ने पुलिस से प्राथमिकी दर्ज करने और यह पता लगाने को कहा है कि जैकेट कैसे और कब गायब हुई।

सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दौंडकर ने शिकायत में आरोप लगाया कि करकरे जब शहीद हुए थे तब उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखी थी।
उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए जेजे अस्पताल ले जाया गया था। तभी से उनका बुलेट प्रूफ जैकेट लापता है।

शिकायतकर्ता का दावा है कि बुलेट प्रूफ जैकेट इन आरोपों की पृष्ठभूमि में एक अहम सबूत है कि जैकेट में खामी थी और इसी के चलते गोलियाँ उसे पार कर गईं और करकरे की मौत हो गई। यह शिकायत मझगाँव अदालत में की गई थी, क्योंकि जेजे अस्पताल इसी अदालत के न्याय क्षेत्र में आता है।

मजिस्ट्रेट ने कहा-यह कुछ अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आई शिकायत है। लिहाजा, दिवंगत करकरे की पत्नी कविता को पुलिस के सूचना का अधिकार कानून 2005 के तहत दिए जवाब के बाद इस स्तर पर अदालत का यह मत है कि यह जाँच कराने का प्रथमदृष्टया उपयुक्त मामला है।

शिकायतकर्ता के वकील वाईपी सिंह ने कहा-प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस को तलाशी लेने, छापे की कार्रवाई करने, गवाहों को तलब करने या अपराधियों को गिरफ्तार करने का वैधानिक अधिकार मिल जाएगा।

इससे पहले कविता करकरे के यह मामला प्रकाश में लाए जाने के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को लापता जैकेट के मामले की जाँच करने के आदेश दिए थे।

कविता को सूचना का अधिकार कानून के तहत मिले जवाब के जरिए मालूम चला था कि बुलेट प्रूफ जैकेट लापता है। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने भी लापता जैकेट के मुद्दे पर कविता से माफी माँगी थी।

पुलिस बल में खराब बुलेट प्रूफ जैकेटें शामिल करने की चूक के मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग करती एक जनहित याचिका बंबई उच्च न्यायालय में दाखिल की गई है। याचिका में इस मामले में एक स्वतंत्र एजेंसी से जाँच कराने की माँग भी की गई है। (भाषा)

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