आँखों में सावन झलका है

विनय मिश्र

बारहमासी फूल खिला है
तुमने ऐसा दर्द दिया है
तेरी मेरी सब कहते हैं,
दर्द बाँसुरी का रिश्ता है
इस घर में सपनों का मरना
कथा-कहानी का हिस्सा है
झिलमिल चाँद नदी पर जैसे
चाँदी का झूमर लटका है
दुख भी पलकों पर रखेंगे
इनसे भी तो प्यार मिला है
यादें शायद हरी-भरी हों,
आँखों में सावन झलका है।

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