शेयर बाजारों की नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कंपनियों को सार्वजनिक निर्गमों में छोटे निवेशकों को छूट पर शेयर आवंटित किए जाने को हरी झंडी दे दी है।
नियामक संस्था की विज्ञप्ति के अनुसार संसाधन जुटाने के लिए कंपनियों के फालोऑन अथवा राइट इश्यू की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। सेबी ने कहा है कि छोटे निवेशकों को सार्वजनिक निर्गमों में पात्र संस्थागत निवेशकों, उच्च नेटवर्थ वाले निजी निवेशकों को आवंटित किए जाने वाले दाम की तुलना में दस प्रतिशत तक छूट दी जा सकती है।
यामक संस्था ने कहा कि उसे छोटे निवेशकों को अन्य वर्गों की तुलना में छूट पर शेयर आवंटित किए जाने के अनुरोध प्राप्त हुए थे, इसे देखते हुए यह फैसला किया गया है। सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों को फालोऑन ऑफर अथवा राइट इश्यू लाने के लिए नियामक संस्था और शेयर बाजारों के पास इश्यू के प्रारूप जमा कराने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी है।
इन कंपनियों को अब केवल बुक बिल्डिंग के जरिए इश्यू लाने के लिए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस और निश्चित मूल्य इश्यू के लिए प्रॉस्पेक्टस कंपनी पंजीयक के पास जमा कराना होगा अथवा शेयर बाजारों और सेबी के पास ऑफर का आवेदन देना होगा। ऐसी कंपनियों को कुल शर्तों को पूरा करना होगा।
इनमें तीन वर्ष की सूचीबद्धता, औसत बाजार मूल्य कम से कम दस हजार करोड़ रु. और सूचीबद्ध शेयरों के वार्षिक आधार पर पिछले छह माह के कारोबार का कम से कम दो प्रतिशत होना चाहिए। सेबी ने देश में डिपॉजिटरी रिसीट के लिए आवेदन की न्यूनतम राशि को दो लाख रु. से कम कर 20 हजार रु. कर दिया है। इसके लिए शर्त यह रहेगी कि इश्यू का कम से कम आधा भाग पात्र संस्थागत क्रेता खरीदेंगे।