गजलें : मोहम्मद अनीस अंसारी 'अनीस'

बुधवार, 9 अप्रैल 2008 (12:33 IST)
खिजा ने लूट ली, जब से बहार की सूरत
रही न बाकी गुलों में करार की सूरत

हुए हैं इस कदर मजबूर दिल के हाथों से
नजर में घूमती रहती है, यार की सूरत

अब ऐतबार करें, उनपे तो करें कैसे
दिखाई देती नहीं, ऐतबार की सूरत

उसी के इश्क में दिल हो गया है दीवाना
कि जिसकी शक्ल से, मिलती है यार की सूरत

'अनीस' राज करोगे दिलों पे फिर उनके
नजर तो आए जरा, इक्तेदार की सूरत

वेबदुनिया पर पढ़ें