कम्प्यूटर से शारीरिक परेशानियाँ

- कृतिका राणे

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महिलाओं का मल्टी टास्किंग स्वरूप अब आम होता जा रहा है। वे घर से लेकर बाहर तक की ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर होने से लेकर खुद का बिजनेस संभालने तक का काम वे दक्षता से कर रही हैं। बदलती सोच और सकारात्मक माहौल ने उन्हें पढ़ने-लिखने से लेकर खुद के स्वास्थ्य के प्रति भी काफी सतर्क बना दिया है।

लिहाजा वे एरोबिक्स, योग तथा अन्य व्यायाम के साथ खान-पान का भी खुद ध्यान रखती हैं। लेकिन उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कुछ कारक ऐसे भी हैं, जो छुपकर वार करते हैं। खासतौर पर जब वे अपने दिन का एक लंबा समय ऑफिस में बिताती हैं।

  यदि बहुत ज्यादा व्यस्तता हो तो काम करते समय हर आधे घंटे में कम्प्यूटर पर से नज़रें हटाकर आँखों को १५-२० बार झपकाएँ या फिर आँखें बंद कर सर को कुर्सी की पुश्त से टिका लें।       
जब आँखों में भर आए पानी... जी नहीं... ये आँसू भावनात्मक उलझन या दुःख के परिणाम नहीं। आमतौर पर आँखों से संबंधित समस्याएँ तब आपको घेरती हैं, जब आपका ज्यादा समय कम्प्यूटर के सामने या लेखन-पठन का काम करने में बीतता है।

लेकिन इसके अलावा ज्यादा देर तक काम करने और पर्याप्त नींद न होने से तथा काम के स्थान पर पर्याप्त रोशनी न होने से भी ये समस्याएँ सामने आ सकती हैं। ऐसे में आँखों में पानी आना, खुजली होना, जलन होना, आँखों या सर में दर्द होना आदि समस्याएँ आ सकती हैं।

बचाव के उपाय :-
* हमेशा कम्प्यूटर से कम से कम ३० सेमी की दूरी बनाए रखें।
* यदि कम्प्यूटर का मॉनिटर "लपझप" (ब्लिंकिंग) कर रहा हो तो उस पर काम करने का खतरा मत उठाइए।
* हर दो-तीन घंटे में कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने से हटकर थोड़ी चहलकदमी कर लें।
* यदि बहुत ज्यादा व्यस्तता हो तो काम करते समय हर आधे घंटे में कम्प्यूटर पर से नज़रें हटाकर आँखों को १५-२० बार झपकाएँ या फिर आँखें बंद कर सर को कुर्सी की पुश्त से टिका लें।
* गर्दन को हल्के-हल्के १० बार दाएँ-बाएँ घुमाएँ।
* आँखों के व्यायाम नियमित रूप से करें।
* हाथों को आपस में रगड़कर उन्हें आँखों पर रखें।
* गहरी नींद लें।

काम न बन जाए मुसीबत :-
एक ही मुद्रा में देर तक बैठे रहना, गलत पोश्चर में काम करना, गलत कुर्सी का उपयोग करना आदि कुछ मुख्य कारण हैं जिनसे गर्दन से लेकर पैरों तक में तकलीफ पनप सकती है। इसके अलावा फोन, की-बोर्ड, माउस आदि के गलत जगह रखे रहने तथा ज्यादा देर तक खड़े रहने का काम करने से भी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसके कारण कमर दर्द, मस्कुलर स्केलेटन मिसकोऑर्डिनेशन (मांसपेशियों संबंधी अनियमितता), गर्दन तथा बाँहों में दर्द, पैरों तथा कंधों में दर्द एवं डीप वेन थ्रांबोसिस जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।

बचाव के उपाय :-
* अपने बैठने के तरीके को सुधारें। जितनी देर हो सके कमर को सीधा रखकर बैठने की कोशिश करें।
* हर १ घंटे में कुर्सी से उठकर शरीर को सीधा रखकर टहल लें या फिर बैठे-बैठे ही पैरों व हाथों को लंबा रखकर पाँच मिनट व्यायाम करें।
* बैठते समय आपके पैर ज़मीन को छुएँ इतनी ऊँचाई पर ही बैठें।
* पीठ को पीछे की ओर झुकाते हुए बैठें, न कि आगे की ओर। यदि फर्नीचर से कोई तकलीफ हो तो उसे तुरंत बदल डालें।
* की बोर्ड की पो़जिशन ऐसी रखें कि आपकी कोहनियाँ ८५-९० डिग्री के कोण पर तथा कलाइयाँ सीधी रहें।
* बैठे-बैठे गर्दन को आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ करने वाला व्यायाम करें।
* बैठी हुई पोज़िशन में ही कंधों, हाथों, पीठ, घुटनों, पैरों, कलाइयों आदि के व्यायाम करें।
* सीधे बैठकर पैरों को लंबा करें, फिर घड़ी की सीधी और उल्टी दिशा में धीरे-धीरे घुमाएँ। पैरों को आहिस्ता-आहिस्ता ज़मीन से ऊपर उठाकर सीधा करें और फिर धीरे से नीचे ले जाएँ। ख़ड़े होकर कमर को घुमाने वाला व्यायाम करें।