भारत के एक मुक्केबाज पर डोपिंग नियमों के उल्लंघन के कारण हाल ही में एशियाई खेलों में हासिल किये गये पदक के साथ पेरिस ओलंपिक कोटा के गंवाने का खतरा है। यह महिला मुक्केबाज एशियाई खेलों से पहले अंतरराष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (आईटीए) को अपने ठिकानों (रहने का स्थान) के बारे में जानकारी देने में कई बार विफल रही है। दोष साबित होने पर इस मुक्केबाज को एशियाई खेलों का पदक और पेरिस ओलंपिक कोटा गंवाने के अलावा अधिकतम दो साल का प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है।
एशियाई ओलंपिक परिषद ने हांग्झोउ एशियाई खेलों में परिणाम प्रबंधन प्रक्रिया सहित डोपिंग रोधी कार्यक्रम के संचालन में मदद करने के लिए आईटीए की सेवाएं ली थी।भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को हालांकि इस मामले के अनुकूल समाधान की उम्मीद है।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले बीएफआई के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर PTIभाषा से कहा, यह नोटिस एशियाई खेलों से पहले की अवधि के लिए था और महासंघ को खेलों के बाद ही इसके बारे में पता चला। मुक्केबाज उस दौरान मानसिक रूप से परेशान थी क्योंकि उसके माता-पिता में से एक गंभीर चिकित्सा स्थिति में थे। उन्होंने कहा, बीएफआई की कानूनी टीम को सूचित कर दिया गया है, वह मामले की जांच कर रही है। कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए (जैसे पदक या ओलंपिक कोटा छीनना) क्योंकि हम विफलता का कारण बताएंगे।
पंजीकृत परीक्षण पूल (आरटीपी) में शामिल खिलाड़ियों के लिए हर तीन महीने में अपने ठिकाने की जानकारी को साझा करना जरूरी है।
वाडा के नियमों के मुताबिक कोई खिलाड़ी अगर 12 महीने की अवधि में तीन बार अपने ठिकाने की जानकारी देने में विफल रहता है तो उसे यह डोपिंग रोधी नियम का उल्लंघन माना जाता है।
एशियाई खेलों में भारत के पांच मुक्केबाजों ने पदक जीता था। इसमें से निकहत जरीन, प्रीति पंवार, परवीन हुड्डा और लवलिना बोरगोहेन पदक के साथ ओलंपिक कोटा हासिल किया है।पुरुष वर्ग में नरेंद्र बारवाल (92 किलोग्राम से अधिक) ने कांस्य पदक जीता लेकिन वह ओलंपिक कोटा हासिल नहीं कर पाए।