गुरु का राशि परिवर्तन, पढ़ें 12 राशियों पर प्रभाव

* गुरु ने बदला अपना घर, जानिए आपकी राशि पर असर

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गुरु 19 जून 2014 को 11 बजे चन्द्र की राशि कर्क में उच्च का हो गया हैं। इस वर्ष गुरु 11 जुलाई को अस्त होकर 10 अगस्त को उदय होंगे। 10 दिसंबर को वक्री होकर फिर 8 अप्रैल 2015 तक वक्री ही रहेंगे। फिर 14 जुलाई 2015 तक उच्च के रहेंगे, फिर सिंह राशि में जाएंगे।

मोदी पर असर

उच्च का गुरु मोदी के लग्न से नवम यानी भाग्य भाव से भ्रमण करेगा, जो मोदी को भाग्यशाली बनाएगा। लग्न पर बैठे चन्द्र, मंगल पर नवम भाव से पंचम दृष्टि डालकर प्रभावशाली बना रहा है। यह संयोग मोदी को कुशल प्रशासन में मदद करेगा। गुरु की नवम दृष्टि पंचम भाव पर पड़ने से निर्णय क्षमता में वृद्धि होगी। उच्च सफलता मिलेगी।

जानिए गुरु ग्रह की महिमा


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गुरु ग्रह की महिमा

गुरु धर्म व न्याय का कारक है। प्रशासनिक क्षमताओं को बढ़ाने वाला होता है। जब गुरु उच्च का होता है तो देश में धर्म-कर्म के कार्य अधिक होते हैं। जनमानस में धार्मिक भाव आता है। न्याय के प्रति सजगता बढ़ती है। कई संतों-महात्माओं की कुंडली में गुरु उच्च का रहा। इस बार शनि भी उच्च का है। गुरु व शनि का उच्च होना प्रशासनिक क्षमता में सुधार के साथ साथ दंडात्मक कार्य के लिए जाना जाता है।


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उच्च का गुरु और महापुरुष

गुरु, शनि राम की पत्रिका में अनुकूल थे। संत तुकारामजी की पत्रिका में गुरु उच्च का था। महर्षि अरविंद घोष, कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, मोतीलाल नेहरू, वीपी सिंह आदि की कुंडली में गुरु उच्च का देखा गया है।

जानिए कब होता है उच्च का गुरु


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कब होता है गुरु उच्च का

गुरु चन्द्र की राशि कर्क में उच्च व शनि की राशि मकर में नीच का होता है। गुरु उच्च का होने पर देश में नई व्यवस्था का उदय होता है व न्याय के प्रति आस्था बढ़ती है। जिनकी पत्रिका में गुरु उच्च का होगा उन्हें उच्च के गुरु में सफलता अधिक मिलेगी।

आगे पढ़ें बारह राशियों पर गुरु का क्या होगा असर...


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12 राशियों पर उच्च के गुरु का असर

मेराशि के लिए गुरु का गोचरीय भ्रमण चतुर्थ भाव से होगा अतः परिवार में शुभ कार्य होंगे, माता का स्वास्थ्य ठीक रहेगा, स्थानीय राजनीति में सफलता मिलेगी, भाग्य में वृद्धि होगी, बाहरी व्यक्तियों का सहयोग मिलेगा, धार्मिक यात्राएं होंगी।

वृषभ राशि के लिए गुरु का भ्रमण तृतीय भाव पराक्रम से होने से पराक्रम में वृद्धि, संचार माध्यम से शुभ समाचार मिलेगा, आर्थिक उन्नति होगी। पिता के मामलों में सावधानी बरतें। बड़े लोगों का सहयोग मिलेगा।

मिथुराशि के लिए गुरु का भ्रमण द्वितीय वाणी भाव से होने से वाणी के प्रभाव से कार्य बनेंगे, धन की वृद्धि होगी व कुटुम्ब जनों का सहयोग मिलेगा। जीवनसाथी व व्यापार-व्यवसाय, रोजगारादि से लाभ होगा।

कर्राशि के लिए लग्न से भ्रमण होने से प्रभाव में वृद्धि लेकिन जीवनसाथी से नुकसान संभव। भाग्य साथ देगा, शत्रुओं पर विजय मिलेगी, धार्मिक कार्य भी होंगे, यश में वृद्धि होगी, स्वास्थ्य ठीक रहेगा, कर्ज उतरेगा।

सिंराशि के लिए गुरु का भ्रमण 12वें भाव में होने से यात्राओं के योग बनेंगे, बाहरी मित्रों से सहयोग के साथ लाभ होगा। संतान से लाभ, विद्यार्थी वर्ग लाभान्वित होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें, कर्ज से बचें।

कन्यराशि के लिए गुरु का भ्रमण एकादश भाव से होने से आय ईमानदारी की ही फलेगी। जीवनसाथी से लाभ, दैनिक व्यवसाय से लाभ, पारिवारिक सहयोग व शुभ कार्य का होना, राजनीति में लाभ के योग भी बनेंगे।

शेष राशियां अगले पृष्ठ पर.....



तुलराशि के लिए गुरु का भ्रमण दशम भाव से होने से व्यापार-व्यवसाय में सुधार, नौकरी में उन्नति, पिता से लाभ, पराक्रम में वृद्धि, शत्रु पक्ष पर कुशल नीति द्वारा सफलता मिलेगी। साझेदारी में सावधानी रखना होगी।

वृश्चिक राशि के लिए गुरु का भ्रमण नवम भाव से होने से भाग्य में वृद्धि, धर्म-कर्म के कार्यों का होना, मान-सम्मान में प्रगति, प्रभावशीलता बढ़ेगी। महत्वाकांक्षाएं पूरी होंगी। संतान से लाभ, धन में वृद्धि, वाणी के प्रभाव से सफलता मिलती है।

धनराशि के लिए गुरु का भ्रमण अष्टम भाव से होने से परिश्रम अधिक करना होगा, भाग-दौड़ अधिक रहेगी, पारिवारिक कार्यों में सहयोग द्वारा सफलता मिलेगी। माता से लाभ, स्थानीय राजनीति में सफलता मिलेगी।

मकर राशि के लिए गुरु का भ्रमण सप्तम भाव से होने से जीवनसाथी से लाभ, विवाह का होना, दैनिक व्यवसाय में सफलता, बाहरी सहयोग, यात्रा के योग, पराक्रम से लाभ, संचार माध्यम से सफलता मिलेगी।

कुंभ राशि के लिए गुरु का भ्रमण षष्ट भाव से होने से शत्रु पक्ष से राहत मिलेगी। धन की बचत कम होगी, वाणी के प्रभाव में कमी, आर्थिक मामलों में आय से अधिक खर्च होगा।

मीराशि के लिए गुरु का भ्रमण पंचम भाव से होने से विद्यार्थियों के लिए उत्तम, संतान के योग, वाद-विवाद में विजय मिलेगी, प्रभाव में वृद्धि होगी, महत्वाकांक्षाओं में सफलता मिलेगी। पिता से लाभ, व्यापार में प्रगति होगी।

गुरु का प्रभाव अशुभ हो तो क्या करें



गुरु का प्रभाव अशुभ हो तो क्या करें -

* गुरु का प्रभाव अशुभ हो तो वह सवा सेर आलू को हल्दी में मिलाकर पीली गाय को खिलाएं, केसर अपने पास रखें, कन्या के पैर छुएं।

* गुरुवार को केले के पेड़ पर जल चढ़ाएं।

* 5 केले मंदिर में चढ़ाएं।

* पुखराज पहनें।

* एक वस्त्र पीला अवश्य पहनें।

इस प्रकार गुरु के अशुभ प्रभाव दूर होंगे।

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