यात्रा पर जाने से पहले इन्हें जरूर आजमाएं

* यात्रा की सफलता के लिए पारंपरिक उपाय, अवश्य पढ़ें

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आखिर कौन नहीं चाहता कि वह जिस काम के लिए घर से निकले, उसमें सफल हो। लोक परंपराओं और शास्त्रों की कुछ ऐसी उक्तियां हैं जिनके आधार पर हम और आप घर बैठे ही यह जान सकते हैं कि हमें कब और किस समय यात्रा करनी चाहिए।

शुभ शकुन ही आपको यह संकेत देते हैं कि आपकी यात्रा पूरी तरह सफल होगी। आंशिक रूप से सफल होगी या मकसद पूरा नहीं होगा।

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यात्रा से पूर्व स्वर को पहचानें- यदि बहुत जल्दबाजी में यात्रा करना है तो ऐसी स्थिति में सबसे अच्‍छा है चौघड़िया या दुघड़िया मुहूर्त निकालकर उसके अनुसार यात्रा करें।

चौघड़िया तथा दुघड़िया दोनों में बहुत ही सामान्य से नियम को माना जाता है- जैसे, जो सांस चल रही हो, वही पैर यात्रा के लिए आगे बढ़ाना चाहिए। इसके बारे में गांवों में एक कहावत काफी प्रचलित है- जेहि सुर चले वही पग दीजै, काहे को पोथी-पत्रा लीजै।। अर्थात- जो स्वर चल रहा हो, उसी के अनुसार कदम आगे बढ़ाकर यात्रा पर जाना चाहिए।

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यात्रा से पूर्व योगिनी विचार- यात्रा के दौरान योगिनी वास का भी विचार किया जाना चाहिए। योगिनी का अलग-अलग तिथियों को भिन्न-भिन्न दिशाओं में वास होता है। योगिनी का वास परिबा को पूर्व दिशा में, दूज को उत्तर में, तीज को आग्नेय कोण में, पंचमी को दक्षिण, षष्ठी को पश्चिम, सप्तमी को ईशान में होता है। फिर नवमी से योगिनी का सिलसिला इसी प्रकार दोहराया जाता है।

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यह है यात्रा के शकुन विचार- यात्रा के दौरान कुछ चीजों का देखना शुभ माना जाता है।

पुष्प, सौभाग्यवती नारी, दर्पण, धनुष, पक्षी, मछली, गोबर, बछड़े के साथ गाय, माथे पर तिलक लगाए हुए ब्राह्मण, चिड़िया, जल भरा घड़ा या कोई दूसरा बर्तन, फल, दही, धुआंरहित जलती आग, वेश्या, धोबी, शराब, पान, दूध, घी, शहद, हाथी-घोड़ा, ध्वज, कन्या, राजा, कुश, हंस, मोर, खुश रहने वाली कोई बात, बकरी, मित्र और वाद्य का दर्शन शुभ माना गया है।

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