वृषभ लग्न में चतुर्थ मंगल से दांपत्य सुख

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वृषभ लग्न में मंगल सप्तमेश व द्वादशेश होगा। मंगल इस लग्न वालों के लिए सप्तमेश होने से मारकेश भी है। वहीं द्वाददेश व्यय का स्थान है।

मंगल लग्न में हो तो ऐसे जातक मांगलिक होते हुए भी मांगलिक प्रभाव से मुक्त होंगे क्योंकि मंगल की सप्तम दृष्टि स्वदृष्टि पड़ेगी। ऐसे जातक का जीवनसाथी पराक्रमी व साहसी होगा, गुस्सैला भी हो सकता है। मंगल के साथ चंद्र होने से ऐसे जातक ऊर्जावान, स्फूर्तिवान होते हैं। सूर्य साथ हो तो माता से लाभ होता है। जनता से संबंधित मामलों में सावधानी बरतकर चलें तो उत्तम सफलता मिलती है। बुध साथ हो तो संतान, विद्या लाभ और लव मैरेज के योग बनते हैं।

गुरु साथ हो तो दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है। आय स्वप्रयत्नों से होती है। भाग्योन्नति में रुकावट आती है। शुक्र साथ होने पर सुंदर होता है व ऐसा जातक योगी भी होता है। अपने जीवनसाथी को चाहने वाला होता है। शनि साथ हो तो भाग्योन्नति में बाधा, व्यापार, नौकरी में बाधा, स्वास्थ्‍य में गड़बड़ी, प्रयत्नपूर्वक भी सफलता नहीं मिलती।
  वृषभ लग्न में मंगल सप्तमेश व द्वादशेश होगा। मंगल इस लग्न वालों के लिए सप्तमेश होने से मारकेश भी है। वहीं द्वाददेश व्यय का स्थान है।      


राहु साथ होने पर ऐसा जातक व्यसनी होता है। केतु साथ हो तो जिद्दी स्वभाव हो, शरीर में चोट लगे। मंगल द्वितीयस्थ हो तो ऐसा जातक वाणी का सख्त होता है। जीवनसाथी से लाभ पाने वाला होता है। चंद्र साथ होने पर पराक्रम से सफलता मिलती है। धन की बचत कम होती है। सूर्य साथ हो तो पारिवारिक, माता, जनता से संबंधों में लाभ होता है।

Devendra SharmaND
बुध साथ हो तो धन की बचत होती है, विद्या-संतान उत्तम होती है। गुरु साथ होने पर आयु उत्तम हो, धन का लाभ रहे। वाणी मधुर होती है। शुक्र साथ होने पर ऐसे जातक सेक्सी भी होते हैं। अनेक संबंध भी हो सकते हैं। शनि साथ हो तो जीवनसाथी को खतरा, कुटुंबियों से न बने, धन की भी बचत न हो। राहु साथ हो तो गुप्त युतियों से लाभ मिले।

केतु साथ हो तो सीधी आँख में चोट लगे या ज्योति कमजोर हो। मंगल तृतीय भावस्थ हो तो नीच का होने से भाइयों, मित्रों से नहीं बनती, साझेदारी के कार्य में सफलता नहीं मिल पाती व पड़ोसियों से भी नहीं बनती। भाग्य जरूर साथ देता रहता है। मंगल के साथ चंद्र हो तो मंगल का नीच भंग होने से अशुभ फल नहीं मिलते। भाई, मित्र आदि सहयोग देते हैं। सूर्य साथ हो तो माता का स्वास्थ्‍य गड़बड़ रहता है।

पारिवारिक मामलों में कुछ कमी के साथ सफलता मिलती है। बुध साथ होने पर धन, विद्या का लाभ प्रयत्नपूर्वक मिलता है। गुरु साथ हो तो ईमानदारी से आर्थिक लाभ मिलता है। पराक्रम अधिक करना पड़ता है। शुक्र साथ होने पर लेखन कार्य से सफलता मिलती है, बहु पत्नी योग भी बनता है। शनि साथ हो तो बाधा आती है। राहु साथ हो तो श‍त्रु नहीं होते। केतु साथ होने पर भाइयों को क्षति पहुँचती है। मंगल चतुर्थ में हो तो मांगलिक होते हुए भी मंगल का प्रभाव नहीं रहता। दाम्पत्य सुख अच्छा रहता है। मकान-भूमि का लाभ मिलता है।

सूर्य साथ हो तो सभी सुख मिलते हैं। चंद्र साथ हो तो पराक्रम से लाभ मिलता है। बुध साथ हो तो विद्या में कुछ कमी रहती है लेकिन संतान सुख अच्छा रहता है। शुक्र साथ हो तो जातक सुंदर होता है। गमन में सफलता मिलती है। शनि साथ होने पर माता नहीं रहती या हो तो बीमार अधिक रहे। राहु साथ होने पर पारिवारिक परेशानियाँ रहे। केतु साथ हो तो माँ-बेटे अलग-अलग रहें या आपस में नहीं बनती।