भीषण गर्मी से उतप्त धरा को अब बारिश की प्रतीक्षा है। तपिश से व्याकुल जनमानस भी अब पावस ऋतु की बाट जोह रहा है। मौसम विज्ञानियों द्वारा वर्षा ऋतु के आगमन व मानसून की भविष्यवाणियां की जा रही हैं।
आज सैटेलाइट के माध्यम से मौसम के मिजाज का पता लगाना बेहद आसान कार्य हो गया है किंतु प्राचीन समय में जब यह तकनीक उपलब्ध नहीं दी, तब भी ग्रहाचार की गणना कर मौसम के बारे में लगभग सटीक अनुमान लगाया जाता रहा है।
आइए, जानते हैं कि ग्रहाचार की गणना से कैसे मानसून का पूर्वानुमान लगाया जाता है?
ज्योतिष शास्त्रानुसार नवग्रहों की अपनी एक नैसर्गिक प्रकृति होती है जिसके आधार पर उन्हें सौम्य या क्रूर ग्रहों की संज्ञा दी जाती है। इसी प्रकार नक्षत्र के विभाजन अनुसार 7 प्रकार की नाड़ियों का उल्लेख हमें पंचांग में मिलता है, ये 7 नाड़ियां हैं-
इन सभी नाड़ियों का एक प्रतिनिधि ग्रह होता, जो क्रमश:- 1. शनि, 2. सूर्य, 3. मंगल, 4. गुरु, 5. शुक्र, 6. बुध, 7. चन्द्र है। इनमें चंडा, समीरा व दहना निर्जल नाड़ियां हैं जबकि नीरा, जला व अमृता सजल नाड़ियां हैं, वहीं सौम्या मध्य नाड़ी है।
जब कोई सौम्य या क्रूर ग्रह सजल नाड़ियों के नक्षत्र में स्थित होता है तब बारिश होने की पूर्ण संभावना होती है। यदि 3 या उससे अधिक ग्रह सजल नाड़ियों के नक्षत्र में स्थित होते हैं तब अतिवृष्टि होती है।
अभी तक सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में स्थित हैं, जो दहना नाड़ी अंतर्गत आता है, वहीं मंगल आर्द्रा नक्षत्र में स्थित है, जो मध्य नाड़ी अंतर्गत आता हैं। सौम्य ग्रह शुक्र, चन्द्र व बुध क्रमश: भरणी, रोहिणी, शतभिषा में स्थित थे, जो क्रमश: चंडा (निर्जल), समीरा (निर्जल), जला (सजल) में स्थित हैं। इन ग्रह स्थितियों में बारिश नहीं होती है।
22 जून से बदलेगी ग्रह स्थिति-
22 जून, शनिवार से सूर्य- आर्द्रा (मध्य), मंगल- पुनर्वसु (नीरा), 3 जुलाई से शुक्र- आर्द्रा (मध्य), बुध- पुष्य (जला) व चन्द्र- उ.भा. (मध्य) नाड़ी अंतर्गत स्थित होंगे। जैसा कि स्पष्ट है 22 जून 2019 के पश्चात 5 ग्रह सजल व मध्य नाड़ियों में स्थित होंगे।
अत: इन ग्रह स्थियों के परिणामस्वरूप 22 जून के पश्चात प्रदेश के कुछ हिस्सों तथा 3 जुलाई के पश्चात संपूर्ण प्रदेश में बारिश होने की पूर्ण संभावना है।