चतुर्थी तिथि (Chaturthi Tithi) भगवान श्री गणेश (Lord Shree Ganesh) को अतिप्रिय है। इस दिन विघ्नहर्ता के पूजन से जीवन के सारे संकटों का नाश हो जाता है। आज के दिन विशेष तौर पर गणेश मंत्र (Ganesh Mantra), चालीसा (Ganesh Chalisa), श्री गणेश की आरती (Ganesh Aarti) तथा उपाय (Ganesha Remedies) करने से जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यहां पढ़ें खास जानकारी एकसाथ-
1. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश को गेंदे का फूल चढ़ाकर मोदक और गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें। इस उपाय से आपको हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी।
2. खुद का घर खरीदने की तमन्ना है तो श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करें अवश्य लाभ होगा।
3. श्री गणेश जी को सिंदूर अत्यंत प्रिय है। संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश को पूजन के समय सिंदूर का तिलक करके खुद भी तिलक करें। फिर श्री गणेश का पूजन करें। मान्यतानुसार सिंदूर को सुख-सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है साथ ही यह श्री गणेश को प्रिय होने के कारण जीवन सुखमय बनेगा।
4. श्री गणेश पूजन के बाद मंत्र- 'ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा' का 108 बार जाप करने से जीवन में आनेवाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।
5. संकष्टी चतुर्थी पर शमी के पेड़ का पूजन करने से श्री गणेश प्रसन्न होते हैं। उन्हें शमी के पत्ते अर्पित करने से दुख, दरिद्रता दूर होती है।
6. अपार धन-संपत्ति चाहिए तो आज धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ करें। मंत्र- 'ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः' की 11 माला का जाप करें।
7. शीघ्र विवाह के लिए मंत्र- 'ॐ ग्लौम गणपतयै नमः' की 11 माला जपें तथा गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश मोदक का भोग लगाएं, कार्य सफल होगा।
1. Shri Ganesha Aarti-आरती : जय गणेश जय गणेश
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय...
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय...
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय...
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥ जय...
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥ जय...
2. श्री गणेश आरती-सुखकर्ता दुखहर्ता Ganesh Aarti
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव...
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव...
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे,
सुरवरवंदना॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव...
श्री गणेश चालीसा-Ganesh Chalisa
जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥