जन्मपत्रिका के द्वितीय व पंचम् भाव से शिक्षा का विचार किया जाता है। ज्योतिष में द्वितीय भाव प्रारम्भिक शिक्षा का व पंचम् भाव उच्च शिक्षा का प्रतिनिधि माना गया है। यदि इन दोनों भावों या इन भावों के अधिपतियों पर किसी अलगाववादी ग्रह जैसे शनि, राहु व सूर्य का प्रभाव होता है तो बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है।
इसके अतिरिक्त यदि चन्द्र पर शनि व राहु का प्रभाव है तब भी बच्चा उच्चाटन का शिकार होता है उसमें एकाग्रता की कमी होती क्योंकि चन्द्रमा मन का कारक है। इसके विपरीत यदि दूसरे व पांचवे भाव या इनके अधिपतियों पर गुरु का प्रभाव है तो बच्चा विद्वान बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला जातक उच्च शिक्षा प्राप्त कर पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।