शनि और मंगल का षडाष्टक योग, 2 देशों के बीच युद्ध को भड़काएगा

WD Feature Desk

सोमवार, 9 जून 2025 (13:50 IST)
7 जून से 28 जुलाई तक के लिए शनि और मंगल का षडाष्टक योग बना है। मंगल और केतु की युति से कुंजकेतु योग बना है। यह योग 28 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर तक खप्पर योग बना रहेगा। यानी 7  जून से लेकर 7 अक्टूबर तक का समय अच्छा नहीं माना जा रहा है। इसी बीच बृहस्पति का अतिचारी गोचर तो चल रही रहा है। ऐसे में देश और दुनिया में बहुत कुछ उथल पुथल होने वाली है। युद्ध, आग, विस्फोट, भूचाल, भूकंप, तूफान और भयानक दुर्घटना के योग बन रहे हैं।ALSO READ: शनि और मंगल का षडाष्टक योग, 4 राशियों को 50 दिनों तक रहना होगा सतर्क
 
षडाष्टक और कुंजकेतु योग: शनि और मंगल का षडाष्टक योग बनेगा जो 28 जुलाई तक रहेगा। इस बीच भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना रहेगा। इस बीच केतु और मंगल का कुंजकेतु योग भी बना है। षडाष्टक योग युद्ध को जन्म देगा तो केतु के कारण देश और दुनिया में हर कार्य में रुकावटें आ सकती हैं। लोगों के बीच वैचारिक मतभेद बढ़ेगा। शनि मंगल का षठाष्टक योग के कारण मंगल की आठवीं दृष्‍टि शनि पर रहेगी। इसके चलते शनि की विध्वंसक शक्ति बढ़ जाएगी। इस योग के कारण शनि का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके चलते प्राकृतिक दुर्घटना, भूस्खलन, आगजनी, ज्वालामुखी फटना और युद्ध होना तय माना जा सकता है। 
 
केतु मंगल का कुंजकेतु योग 'कुजोवत् केतु' अर्थात केतु का स्वभाव मंगल जैसा होता है। दोनों ही उग्र, आक्रामक और प्रतिशोधी ग्रह हैं। यह आग और विस्फोट को जन्म देगा। सूर्य की सिंह राशि को शासक माना गया है। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा बताया गया है, जो नेतृत्व, सत्ता और राजधर्म से जुड़ा है। 'राज्येषु सिंहः, बलिनां च बलं हरिः.' यानि मंगल-केतु की युति सत्ता के लिए विस्फोटक है। साथ ही वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
 
इस दौरान देश दुनिया में घटना, दुर्घटना, खून खराब, आंदोलन और विद्रोह के साथ ही सत्ता परिवर्तन की ओर भी इशारा करता है। मंगल साहस, युद्ध और क्रोध पर प्रभाव डालने वाला है और केतु का काम होता है हर कार्य में रुकावट डालना और दुर्घटनाओं को जन्म देना। इसी के साथ केतु रहस्यमयी विद्याओं की ओर भी संकेत करता है। केतु और मंगल की युति को अच्छा नहीं माना जाता है। यह लोगों में जोश के साथ असंतोष को भी जन्म देता है। यह भ्रम पैदा करके रिश्तों में अलगाव को बढ़ाता है जिसके चलते मानसिक तनाव भी बढ़ाता। 
 
अतिचारी बृहस्पति: 18 अक्टूबर: 14 मई 2025 बुधवार को रात्रि 11 बजकर 20 मिनट पर बृहस्पति ग्रह वृषभ से निकलकर मिधुन राशि में प्रवेश किया। मिथुन राशि में बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 तक रहेंगे और इसके बाद तेज गति से कर्क राशि में चले जाएंगे। कर्क में बृहस्पति नीच के हो जाते हैं। नीच के होकर बुरा फल देंगे। ऐसी आशंका है कि तब भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से उकसावे की कार्रवाई के बाद तनाव उत्पन्न हो सकता है।
 
11 नवंबर 2025 को गुरु ग्रह वक्री हो जाएंगे और 5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में वापस लौट आएंगे। इसके बाद, गुरु 2 जून 2026 तक मिथुन राशि में रहने वाले हैं। इस तरह मार्गी और वक्री का उनका गोचर चलता रहेगा। 2 जून 2026 मंगलवार को मध्यरात्रि 02:25 पर जब बृहस्पति कर्क राशि में गोचर करेंगे तो फिर से भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर होगा। 
 

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