आज 15 अगस्त अर्थात स्वतंत्रता दिवस है। इस दिन सभी देशवासी आजादी का जश्न मनाते हैं। आज के दिन देश से जुड़ी हर तरह की चर्चाएं अपने चरम पर होती हैं। इसके साथ ही एक विशेष चर्चा जो इस दिन होती है, वह है भारतवर्ष की कुंडली का फ़लित। तमाम न्यूज़ चैनलों पर ज्योतिष के दिग्गज भारतवर्ष की जन्मपत्रिका आंकलन कर आने वाले साल में देश के ज्योतिषीय लाभ-हानि पर अपना मत प्रकट करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की जन्मपत्रिका एक भ्रामक प्रचार मात्र है। चौंकिए मत, मेरे ऐसा कहने के पीछे कुछ विशेष कारण है। आज हम ऐसे ही कुछ कारणों व तथ्यों की जानकारी अपने पाठकों को देने जा रहे हैं जिसके आधार पर वे यह स्वयं तय कर सकें कि भारत की कुंडली कितनी सच है।
1. जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं-
मेरे देखे किसी भी जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं हो सकता फ़िर चाहे वह देश हो, खेत-खलिहान हो या मकान इत्यादि। उनके ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए वह जिस व्यक्ति के आधिपत्य में है उसकी जन्मपत्री का विश्लेषण किया जाना चाहिए ना कि उस वस्तु का। जैसे यदि किसी राज्य का विश्लेषण करना हो तो वह उसके राजा की जन्मपत्री के आधार पर किया जाएगा।
2. भारत की प्रचलित कुंडली ही गलत है-
यदि हम यह मान भी लें कि भारतवर्ष की कुंडली के आधार पर भारत के भविष्य के संबंध में कुछ भविष्यवाणियां की जा सकती हैं तो उसके लिए भारत की प्रामाणिक जन्मपत्रिका का होना आवश्यक है। अभी तक तथाकथित ज्योतिषीगण जिस जन्मपत्री को भारत की जन्मपत्रिका बताकर उसका विश्लेषण करते हैं वह जन्मपत्रिका सर्वथा असत्य व गलत है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि जन्मपत्रिका के निर्माण के लिए जातक के जन्म की सही दिनांक, समय व स्थान की आवश्यकता होती है।
3.भारत का जन्म नहीं, विभाजन हुआ है
भारत के संबंध में यह तीनों ही अप्राप्त हैं। अब आप शायद मेरी बातों का विश्वास ना करें क्योंकि आप कहेंगे भारत का जन्म तो 15 अगस्त सन् 1947 को रात्रि 12:00 बजे हुआ था। भारतवर्ष की बताई जाने वाली जन्मपत्रिका भी इसी समय व दिनांक के आधार पर बनी हुई होती है लेकिन यह पूर्णत: गलत है क्योंकि जन्म तो पाकिस्तान का हुआ था ना कि भारत का, भारत का तो विभाजन हुआ था। विभाजन के आधार पर यदि भारत का जन्म मानें तो भारत का विभाजन तो इससे पूर्व भी कई बार हो चुका था। अत: भारत के जन्म अर्थात निर्माण के संबंध में कोई दिनांक व समय प्राप्त ही नहीं है तो फ़िर जन्मपत्रिका का निर्माण कैसे हो?
4. समान कुंडली-
14 एवं 15 अगस्त को रात्रि 12.00 बजे को आधार मानकर निर्माण की जाने वाली कुंडलियों में चन्द्र को छोड़कर सभी ग्रहों व लग्नादि की समानता है क्योंकि ग्रह परिवर्तन सामान्यत: कम से कम 1 माह में ही होता है। अत: जब कुंडली एक ही समान हैं तो फ़लित विलग-विलग कैसे संभव है? इसका निर्णय आप स्वयं कीजिए।
5. विभाजन के आधार पर समय अलग नहीं हो सकता-
हम यदि भारत के विभाजन को भी जन्मपत्रिका निर्माण का आधार मानें जो कि सर्वथा गलत है तो भी विभाजन का समय अलग-अलग नहीं हो सकता। जिस दिन पाकिस्तान का निर्माण किया गया ठीक उसी समय वर्तमान भारत भी अस्तित्व में आ गया फ़िर दोनों देशों का निर्माण समय अलग-अलग कैसे हुआ? स्वतंत्रता या परतंत्रता ज्योतिष का आधार नहीं हो सकती।
अत: उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतवर्ष की कुंडली बनाकर उसका फ़लित व भविष्य विश्लेषण की बातें करना नितांत असत्य व भ्रामक है।