नर्मदा नदी का महत्व : नर्मदा नदी के महत्व के बारे में कहा जाता है कि...
'गंगा कनखले पुण्या, कुरुक्षेत्रे सरस्वती, ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।'
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नर्मदा को भारत की सबसे प्राचीन नदियों में से एक माना जाता है। पुराण, वेद, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक स्थान से होता है और गुजरात के खंबात की खाड़ी के समुद्र में इसका विलय हो जाता है। करीब 1300 किमी. की यात्रा में नर्मदा पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती है। पुराणों में वर्णित हैं कि नर्मदा जी वैराग्य की अधिष्ठात्री मूर्तिमान स्वरूप, गंगा जी ज्ञान की, यमुना जी भक्ति की, गोदावरी ऐश्वर्य की, कृष्णा कामना की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, और सरस्वती जी विवेक के प्रतिष्ठान के लिए संसार में आई हैं।
नर्मदा जयंती पर जानें पूजन के शुभ मुहूर्त :
सप्तमी तिथि प्रारम्भ- 04 फरवरी 2025 को सुबह 04:37 बजे से।
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त: सुबह 05:49 से 07:08 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:13 से 12:57 तक।
अमृत काल: दोपहर 03:03 से 04:34 बजे के बीच।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:08 से रात्रि 09:49 बजे तक।
मत्स्य पुराण में नर्मदा की महिमा का वर्णन कुछ इस तरह मिलता है कि- यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगा जल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।'
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