5 दिसंबर की शाम पंचक से लग गया है। इस योग में कई शुभ कार्यों की मनाही है। ज्योतिष शास्त्र के अऩुसार इस दौरान कोई शुभ काम नहीं किया जाता। इसके अलावा कुछ काम तो ऐसे भी हैं जिन्हें करने की बिलकुल मनाही है।
क्या होता है पंचक? : ज्योतिषियों के अनुसार चन्द्रमा जब कुंभ और मीन राशि में अर्थात आखिरी के 5 नक्षत्रों- धनिष्ठा का उत्तरार्ध, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती में हो तो इन्हें पंचक कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार यह समय शुभ नहीं माना जाता।
कई ज्योतिषियों का तो यह भी मानना है कि अगर पंचक काल में कोई कार्य करना जरूरी हो तो उसे धनिष्ठा नक्षत्र के अंत, शतभिषा नक्षत्र के मध्य, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के प्रारंभ और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के अंत की 5 घड़ी का समय छोड़कर शेष समय में किया जा सकता है, लेकिन इस समय को ध्यान रखने के लिए खास सावधानी बरतनी चाहिए।
आगे पढ़ें पंचक का समय और इस दौरान कौन-कौन से 5 काम न करें..
पंचक का समय :
पंचक 5 दिसंबर, सोमवार शाम से 9 दिसंबर, शुक्रवार की सुबह तक रहेंगे। ज्योतिषियों की मानें तो पंचक में 5 काम नहीं किए जाते।
धनिष्ठा नक्षत्र में भूलकर भी ईंधन नहीं खरीदना चाहिए। कहा जाता है कि इससे आग लगने का भय होता है।
पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि यह यम की दिशा है इसलिए इस दिशा में यात्रा करने की मनाही है।
रेवती नक्षत्र के समय घर की छत भी नहीं डलवानी चाहिए।
पंचक में चारपाई बनवाने को भी मना किया जाता है।
पंचक के दौरान यह सबसे ध्यान रखने वाली बात है कि इस दौरान शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए।
ज्योतिषियों के अनुसार कहा जाता है कि पंचक में जो भी काम किया जाता है उसे 5 बार करना पड़ सकता है। अगर किसी भी कारण से दाह-संस्कार करना पड़े तो शव के साथ 5 कुशा के पुतले बनाकर उनका भी दाह-संस्कार किया जाता है।