17 अप्रैल 2020, शुक्रवार से पंचक शुरू हो रहा है। हिन्दू मान्यता के अनुसार पंचक का समय अशुभ समय माना जाता है। पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक काल' कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। अत: इन दिनों में विशेष संभलकर रहने की आवश्यकता होती है।
शुक्रवार से शुरू होने वाले पंचक को 'चोर पंचक' के नाम से जाना जाता है। इस बार शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020 दिन 12:18 मिनट से पंचक आरंभ होकर बुधवार 22 अप्रैल दोपहर 1:18 तक रहेगा। अत: इस समयावधि में अधिक सतर्क रहना चाहिए। यह अशुभ समय होने से इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। इसी के चलते पंचक के समय हर किसी को शुभ कार्य करने से रोका जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्रवार से शुरू हुए पंचक, जिसे चोर पंचक कहा जाता है, के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा धन से जुड़ा कोई कार्य भी पूर्णत: निषेध माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान धन की हानि होने की संभावनाएं प्रबल रहती हैं। अत: सावधानी बरतते हुए कोई भी लेन-देन का कार्य करना चाहिए।
पंचक के इन पांच दिनों का यह समय वर्ष में कई बार आता है। इसलिए सामान्य जन को यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी जरूरी कार्य इन 5 दिनों में संपन्न ना किया जाए तो ही बेहतर है। अगर कोई कार्य करना भी हो तो इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
इन पांच दिनों में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा ना ही घर की छत और खाट बनवानी चाहिए और ना ही ईंधन का सामान इकट्ठा करना चाहिए। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हर सामान्य जन को इस पंचक काल के पांच दिन विशेष सावधानीपूर्वक व्यतीत करना चाहिए।