ताश बताते हैं भविष्य, पढ़ें आश्चर्यजनक जानकारी और विधि
ताश का आविष्कार भारत में हुआ था। तब से अब तक ताश के कई रूप बदल गए। यह विद्या जिस देश में गई, उस देश के अनुसार ढल गई और नए-नए खेल का आविष्कार करती रही। ताश के महान जादूगर हुए हैं और ताश से भविष्य बताने वाले भी हुए हैं लेकिन लाल किताब भी ताश का उपयोग करता है, यह पहली बार पता चला।
दुनिया में भविष्य बताने या जानने के सैकड़ों तरीके हैं। कोई कुंडली पढ़कर भविष्य बताता है तो कोई हाथ पढ़कर। कोई मस्तिष्क देखकर भविष्य बताता है तो कोई अंगूठा देखकर। इस तरह भविष्य बताने का एक और तरीका है जिसे ताश के पत्तों से भविष्य जानना कहते हैं।
यह तोते द्वारा निकाले गए ताश के पत्तों की तरह नहीं होता और न ही यह टैरो कार्ड की तरह है, तो यह क्या है? लाल किताब के विशेषज्ञ आजकल ताश के पत्तों का भी इस्तेमाल करते हैं। इसमें कितनी सच्चाई होती है यह कहना मुश्किल है, लेकिन लोग इसे मानते हैं।
ताश के ये पत्ते महत्वपूर्ण होते हैं- इक्का, बादशाह, बेगम, गुलाम, दहला, नहला और अट्ठी। आपने देखा होगा कि जिंदगी में कभी-कभी ऐसा भी वक्त आता है जबकि व्यक्ति तुरूप के इक्के की तरह जीवन व्यतीत करता है तो कभी बादशाह की तरह। कभी ऐसा भी वक्त आता है कि उसे गुलाम बनना पड़ता है तो कभी ऐसा भी वक्त आता है जबकि उसकी कीमत ईंट की अट्ठी की तरह रह जाती है। लेकिन भाग्यशाली वह व्यक्ति होता है कि जिसकी अट्ठी तुरूप का पत्ता साबित हो जाती है और वह जिंदगी की हारी हुई जंग भी जीत जाता है। मुफलिस के सारे पत्ते तुरूप के पत्ते बन जाते हैं।
भारतीय ज्योतिषियों के अनुसार 1 साल के अंदर 52 सप्ताह होते हैं और 4 ऋतुएं। इसी आधार पर ताश के पत्तों का निर्माण किया गया। 52 सप्ताह को यदि 4 भागों में विभाजित किया जाए तो एक भाग में 13 दिन आएंगे। भारतीय मान्यता के अनुसार एक भाग में धर्म, दूसरे में अर्थ, तीसरे में काम और चौथे में मोक्ष।
ताश के 4 प्रकार : ताश के पत्तों के भी 4 प्रकार होते हैं:- पान, चिड़ी, ईंट और हुकुम। अंत में एक जोकर।
जिंदगी के चार रंग : पहला बादशाह, दूसरा बेगम, तीसरा इक्का और चौथा गुलाम। ये जिंदगी के 4 रंग हैं। यदि गुलाम को 11, बेगम को 12, बादशाह को 13 और जोकर को 1 माना जाए तो अंकित चिह्नों का योग 365 के बराबर होता है।
जन्मपत्री (कुंडली) तथा हस्तरेखा का अध्ययन करने के बाद पहले इक्का से अट्ठी तक चारों रंग के पत्ते अलग-अलग छांट लें और फिर उसे तब तक मिलाते जाएं, जब तक कि इच्छा हो। जब मिलाना बंद कर दें तो फिर उसके कुछ पत्ते बाएं हाथ से कटवा लें।
याद रहे यदि आप बाएं हाथ से लिखने आदि का कार्य करते हों तो दाएं हाथ के पत्ते कटवा लें। बाद में बाकी बचे हुए पत्ते, एक गड्डी बनाकर रख लें और क्रमश: ऊपर से लेकर नीचे तक का पत्ता कौन-सा है, यह नोट करके रख लें। नोट करने के बाद सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते हुए पहली बार जो पत्ते खींचे गए उन्हें ही नोट करना चाहिए, क्योंकि उसी से सही भविष्य पता चलेगा, क्योंकि पहला पत्ता जन्मपत्री की तरह होता है।
मान्यता अनुसार बादशाह वाला वर्ष सर्वश्रेष्ठ होते हैं जबकि अट्ठी और गुलाम वाले वर्ष साधारण होते हैं। अट्ठाईस पत्ते क्रमश: 1-1 साल के प्रतीक हैं। 29 साल का भविष्य जानने के लिए फिर से पहले पत्ते को 29वां साल मानना होगा। इसका मतलब यह कि इतिहास अपने आपको दोहराता है।
माना जाता है कि जिस वर्ष बादशाह का पत्ता आता है, उस वर्ष व्यक्ति की दशा बादशाह जैसी होती है। इस वर्ष प्राय: श्रेणी अथवा स्थान का अंक प्राप्त होता है। ज्योतिष मान्यता अनुसार इक्का, बादशाह और गुलाम के पत्तों में पुत्र संतान की प्राप्ति अधिक होती है, जबकि अट्ठी और गुलाम के पत्तों में अक्सर कन्या संतान ही पैदा होती है। बेगम वाले वर्षों में विवाह के योग अधिक होते हैं।
बादशाह वाले वर्षों में व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होने की संभावना रहती है, महत्वपूर्ण कार्य होते हैं और ऐसे व्यक्तियों से संपर्क होता है, जो उसके कार्य में सहायक सिद्ध होते हैं। महत्वपूर्ण पत्र की प्राप्ति, नौकरी, पुत्र प्राप्ति आदि शुभ घटनाएं इसमें होती देखी गई हैं।
बादशाह वाले वर्षों में पत्रिका में भी श्रेष्ठ अंतर्दशा निश्चित रूप से आती है। अट्ठी और गुलाम के वर्षों में साधारण दशाएं आती हैं। यह भी देखा गया है कि अट्ठी और गुलाम के वर्षों में शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानी, घटना-दुर्घटना, घर में किसी की मौत, नौकरी में खराबी, धोखा, हानि जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
ताश की इस विद्या से प्रतिमाह का फल भी ठीक बैठता है। उसके लिए वर्ष वाले पत्ते से 1-1 पत्ता छोड़ देने पर वर्ष वाले माह के बाद आगे के फल मिलते चले जाते हैं। दिन-प्रतिदिन के भविष्य के लिए जन्म तारीख से लेकर आगे के दिन लगातार गिनने चाहिए।
शेष पत्तों में अट्ठी और गुलाम के पत्तों वाले मास और वर्ष के दिनों में बदपरहेजी, बड़े जोखिम, बड़े लेन-देन, बहसबाजी, वाहन को तेज गति से चलाने आदि से बचना चाहिए।
पत्तों के चार प्रकार : अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए हमेशा 4 पत्तों को उठाया जाता है। पहला पत्ता उसके धर्म से संबंधित होता है, दूसरा उसके द्वारा किए जाने वाले कर्म से संबंध रखता है, तीसरा पत्ता उसके द्वारा संबंधों के बारे में बताता है और चौथा पत्ता उसकी चाहत के लिए और भविष्य की इच्छाओं के लिए बयान करता है।
ताश के पत्तों से भविष्यफल के चार प्रकार- 1- हूकुम, 2- पान, 3- ईंट, 4- चिड़िया।
ताश के पत्तों से भविष्य जानने की विधि: ज्योतिषियों अनुसार ताश के पत्तों से भविष्य जानने के लिए 32 पत्तों की आवश्यकता होती है। ताश के 52 पत्तों में से 20 पत्ते निकाल दें। 2, 3, 4, 5, 6 हूकुम के, इसी प्रकार 5 ईंट के, 5 पान के और 5 चिड़िया के पत्ते। पत्ते निकाल देने पर 32 पत्ते रह जाएंगे जो राजा, रानी, गुलाम, इक्का, 7, 8, 9,10 के होंगे।
1- हूकुम के पत्तों से जातक की साधारण बीमारी, चिंता, धन, हानि और प्रेम में धोखे की स्थिति जानी जाती है।
2- ईंट के पत्तों से महत्वाकांक्षा, बरकत, धन लाभ और कार्यक्षेत्रों में मिलने वाली सफलता का पता चलता है।
3- पान के पत्ते से नौकरी और कारोबारी से संबंधित कार्यक्षेत्र के अच्छे समाचार, प्यार और विवाह में में सफलता आदि का पता चलता है।
4- चिड़िया के पत्तों से भाग्य का पता चलता है। इससे कारोबार के क्षेत्र में सफलता का भी पता चल जाता है।...इस तरह प्रत्येक पते के रंग और अंक का अर्थ और विशेषता अलग-अलग होती है!
ताश के द्वारा स्वभाव का ज्ञान : स्वभाव जानने के लिए पत्तों को 4 वर्गों में विभाजित किया गया है- बादशाह वाले, बेगम वाले, पान वाले, गुलाम वाले, अट्ठी वाले या शेष अन्य पत्तों वाले। स्वभाव जानने के लिए पहले आधे क्रम को नोट करके केवल 7 पत्तों को लेकर अथवा पूरे 28 पत्तों को पीसकर उल्टा बिछा दें। जिस पत्ते को व्यक्ति उठाए, उससे स्वभाव बताना चाहिए।
पत्तों से स्वभाव : जो व्यक्ति बेगम को अधिक महत्व देता है, वह समन्वयवादी, सुधारवादी और आशावादी होता है। अट्ठी और बादशाह को महत्व देने वाला व्यक्ति अतिभावुक, तुनकमिजाज, बाहर से कठोर किंतु अंदर से नरम और सिद्धांतवादी होता है।
अन्य पत्तों वाले सर्वगुण संपन्न, अधिक बोलने वाले, जिद्दी, संघर्षमय जीवन जीने वाले, कम उम्र में अपने पैरों पर खड़े होने वाले, निर्व्यसनी और आशावादी होते हैं।
4 तरह के बादशाह होते हैं : लाल पान का बादशाह, काले पान का बादशाह, ईंट का बादशाह और चिड़ी का बादशाह।
लाल पान का बादशाह : अगर पान का बादशाह पहला पत्ता है तो समझना चाहिए कि जीवन में शाही रूप से जीने में कोई रोक नहीं सकता है। लाल पान का बादशाह रसकमिजाज का होता है, उसे अपने रंग में ही रंगे रहने का पूर्ण मतलब होता है, जैसे चाणक्य के काल में धनानंद और मुगलों के काल में शाहजहां था। ऐसे लोग राग-रंग में ही डूबे रहते हैं और राज्य को भावना से चलाते हैं। ये मूर्ख नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन इसमें चालाकी नहीं होती है। यात्रा आदि के कामों में बरकत, इज्जत भरपूर, विरोधी अपने हित के लिए स्वागत करते हैं। अच्छे कामों से सफलता और बुरे कामों से राज्य का नाश।
हुकुम का बादशाह : इसी प्रकार से अगर हुकुम का बादशाह पहला पत्ता है तो व्यक्ति आजीवन कर्म के अंदर ही फंसा रहेगा। ऐसे व्यक्ति जहां भी अपने स्वार्थ को देखेगा अपना सिक्का चलाने की कोशिश जरूर करेगा, फिर भले ही कोई मरे या जिए इससे उसे कोई मतलब नहीं। धर्म, देश, समाज, परिवार आदि सबसे ऊपर उसका स्वार्थ होगा। कठोर बुद्धि वाला ऐसा व्यक्ति पत्नी और बच्चों का भी नहीं होता। ऐसे लोग अनैतिक कामों के अंदर अक्सर पाए जाते हैं जैसे अपराधी, माफिया, डकैत आदि।
ईंट का बादशाह : ईंट का बादशाह निर्माण कला के लिए जाना जाएगा। बिल्डर, ठेकेदार, इंजीनियर आदि। ऐसे लोगों के जीवन की शुरुआत भले ही कमजोर रही हो लेकिन ये खुद को स्थापित करके ही रहते हैं। जीवन के कार्यों और संघषों से ये कठोर भी बन जाते हैं। हालांकि ये संभलकर चलते हैं और ये अपनी बिरादरी की संख्या के अनुसार बलशाली होते हैं। मजबूत विचारों से ये राजनीतिज्ञ भी बन सकते हैं और अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।
चिड़ी का बादशाह : चिड़ी का बादशाह मजाकिया लेकिन गहरी सोच वाला होता है, लेकिन ऐसे बादशाह अपने स्वार्थ के लिए किसी की जान भी मजाक-मजाक में ले सकता है। उसके चारों तरफ होशियार और चालाक लोगों की फौज काम करेगी। गाना-बजाना, खेल, मनोरंजन आदि में अधिकतर समय व्यतीत करेगा। इस बादशाह के लिए एक कहावत कहीं जाती है कि 'अंधेर नगरी बेबूझ राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा।'
बेगम : ताश के पत्तों में अगर पहला पत्ता बेगम का आता है तो व्यक्ति स्त्री स्वभाव का होता है या उसके अंदर स्त्रियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इसके मित्रों की संख्या में स्त्रियां ही अधिक होती हैं, पुरुष मित्र कम ही होते हैं।
पान की बेगम के स्वभाव के जातक अपने किसी बड़े मातहत या किसी साझेदार के आदेश से काम करने वाला होता है। उसके अंदर शक्ति की पूजा करने और शक्ति का विश्वास करने की आदत भी होती है। ऐसा व्यक्ति देवी शक्ति या रहस्यमय शक्ति के ऊपर अपना विश्वास रखता है।
मनोरंजन तथा लिखने में उसका अधिक विश्वास होता है। कोई भी काम रुचि से करना भी आता है। घर-संस्थान को संभालने और रखरखाव करने में उसे दक्षता हासिल होती है।
पान और हुकुम : ताश का पहला सबसे सुंदर पान का प्रकार का होता है, उसके बाद हुकुम का। इन दोनों में एक-दूसरे का विरोध है। लाल और काले पान को हमेशा अपने विरोधी हुकुम से जूझने के लिए माना जाता है। लाल पान के स्वभाव वाले के अंदर भावना, प्यार तथा विनम्रता होती है जबकि दूसरे के अंदर कठोरता और कर्मठता का ही महत्व होता है। उसे भावना से कोई मतलब नहीं होता है।
ऐसे व्यक्ति आदेश यानी हुकुम पर चलता है। अगर मारने का हुकुम है तो मारना ही पड़ेगा। ऐसा व्यक्ति व्यावहारिक होता है जबकि लाल पान के स्वभाव वाले में मानवीय गुण होते हैं। हुकुम तो सेनापति की तरह होता है। यदि वह बादशाह है तो फिर उसका कोई सानी नहीं।
ईंट और चिड़ी : पान और हुकुम की तरह ईंट और चिड़ी का भी आपसी संबंध होता है। एक और जहां ईंट को भौतिक सुख और भवन निर्माण तथा रिहायशी कामों के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला माना जाता है तो दूसरी ओर उसकी विरोधी चिड़ी को काले रंग लेकिन रहस्य और चालाकी से संपन्न माना जाता है।
ईंट का निर्माण मिट्टी से होता है। वह जली हुई होती है अर्थात उस मिट्टी में कुछ भी पैदा होने की कोई संभावना नहीं। ईंट केवल निर्माण करना जानती है, लेकिन ईंट तब ही निर्माण कर सकती है जबकि वह खुद के कच्चे स्वभाव को तपाकर पक्का बनाए। ईंट के अंदर कोई रस नहीं होता और न ही कोई सोच होती है। वह जहां भी स्थापित कर दी जाती है वहीं जमी रहती है। इस स्वभाव के कई लोग होते हैं।
ईंट की विरोधी चिड़ी को माना जाता है। चिड़ी का रंग काला होता है लेकिन यह 3 दिशाओं की ओर देखने और सोचने की क्षमता रखती है। खुद को बेवकूफ-सा घोषित कर किसी भी प्रकार के मतलब को साधने में माहिर होती है। ऐसे लोग अपनी उपस्थिति हर जगह दर्ज कराने की सोचते जरूर हैं। गाना-बजाना, शरीर का ख्याल रखना, लोग क्या कहेंगे? क्या समझेंगे? इससे कोई वास्ता नहीं रखना आदि प्राथमिक बातें मानी जाती हैं।
जिस तरह बादशाह, बेगम, गुलाम आदि का विस्तृत स्वभाव बताया गया उसी तरह कुछ अन्य पत्तों के बारे में भी यहां प्रस्तुत है संक्षिप्त जानकारी। यदि पत्ते छांटते वक्त अट्टाईस में से जिन जिन पत्तों का जो-जो वर्ष आता है उसमें व्यक्ति का स्वभाव और भविष्य वैसे ही हो जाता है।
हुकुम के पत्ते :
राजा : ऐसा जातक काला होगा लेकिन शिक्षित होगा, चिकित्सक, लेखक और कलाकार भी हो सकता है।
रानी : काली महिला, विधवा और प्रतिष्ठित पेशे से जुड़ी हुई महिला।
गुलाम : गंवार और चापलूस होगा, लेकिन काला होगा। संदेशवाहक और नौकर भी हो सकता है।
10 : अप्रसन्नता के कारण हमेशा आंसू, ईर्ष्या से युक्त, सगाई या विवाह का अचानक टूट जाना।
9- मृत्यु का समाचार, किसी रिश्तेदार या मित्र से संबंधित शोक।
8- बीमारी, बुद्धिमता की कमी, बुरा समाचार, उदासी।
7- प्रसन्तता से अत्यधिक आशा और अच्छा भविष्य।
इक्का- दस्तावेज, परित्यक्त।
ईंट के पत्ते:-
राजा : स्वभाव से निष्ठावान, विवाह के योग, उच्च पद पर प्रतिष्ठित।
रानी : छोटे शहर का निवासी, गप्पबाज, हलके बालों वाली महिला।
गुलाम : संदेशवाहक, धोखेबाज मित्र, चापलूस और स्वार्थी।
इक्का : चिंता का कारण या एक चिट्ठी या दस्तावेज की प्राप्ति।
दस्सी : स्थान परिवर्तन हो सकता है। दूसर की यात्रा होगी।
नौ : प्रसन्नता के कारण विजय, एकता, सामंजस्य के कारण ईनाम।
अट्ठी : सफलतापूर्वक उत्तरदायित्व का निर्वाह, गौरवर्ण की स्त्री से विशेष लगाव।
सत्ती : वर्तमान में दृढ़ता, सुखद समाचार, हंसाने-हंसाने का समय।
पान के पत्ते-
राजा : हल्के बालों वाला पुरुष, वकील, उदार व्यक्ति।
रानी : हल्के बालों वाली स्त्री, विश्वासी मित्र, भद्र स्त्री, मित्रों से मुलाकात।
गुलाम : हल्के बालों वाला अविवाहित व्यक्ति, वर्दीधारी युवा अधिकारी, एक यात्री।
इक्का : उत्सवी माहौल, रुचिपूर्ण बातचीत। अत्यधिक धन का लाभ। प्रतिष्ठापूर्ण जीवन।
दस्सी : नासमझ ईर्ष्यालु व्यक्ति।
नौ : प्रसन्नता के कारण विजय, एकता, सामंजस्य के कारण ईनाम।
अट्ठी : सफलतापूर्वक उत्तरदायित्व का निर्वाह, गौरवर्ण की स्त्री से विशेष लगाव।
सत्ती : वर्तमान में दृढ़ता, सुखद समाचार, हंसाने-हंसाने का समय।
चिड़िया के पत्ते:-
राजा : गौरवर्ण का जातक, स्पष्टवादी, विश्वासी, ईमानदार और गुणी।
रानी : भूरे बालों वाली स्त्री, बातूनी, तुनकमिजाज, स्नेहदिल।