प्रतिमाह आनेवाला प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ को दंडवत प्रणाम करना चाहिए तथा आरती के बाद खीर का भोग लगाना चाहिए।
इस बार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाएगा। यह व्रत शुक्रवार को आ रहा है, इसीलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 27 नवंबर 2020, शुक्रवार को किया जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोषकाल में की जाती है। यह प्रदोष सूर्यास्त से लगभग 1 घंटा पहले का समय होता है, जो प्रदोषकाल कहलाता है।
इस बार प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त एवं समय इस प्रकार रहेगा-
शुक्रवार को सुबह 6.53 मिनट से सर्वार्थसिद्धि योग लग रहा है। इस दिन सुबह 10.50 मिनट से 12.09 मिनट तक राहुकाल रहेगा। अत: राहुकाल में प्रदोष व्रत की पूजा नहीं करनी चाहिए। राहुकाल को छोड़कर अन्य समय में प्रदोष व्रत की पूजा की जा सकती है।
इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। हर भक्त को समस्त आर्थिक संकटों का समाधान करने के लिए प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।