इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार गुरुवार, 18 अगस्त 2016 को मनाया जाएगा। वैदिक काल से ही इस त्योहार का महत्व सर्वविदित है।
साधारणतया नाम से ही यह त्योहार अपने महत्व को सार्थक करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर अपनी रक्षा के लिए याद दिलाती हैं तथा अपने से वरिष्ठजनों जैसे कुलदेवता, ईष्ट देवता, पितृदेवता, राजा इत्यादि को रक्षा-सूत्र बांधा जाता है। महाभारत में भी पांडवों की सेना में सभी ने एक-दूसरे को रक्षा-सूत्र बांधा था, ऐसा उल्लेख है।
इसी के साथ जिन लोगों का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ हो, वे अपने यज्ञोपवीत आज के दिन बदलते हैं, जो कि 'श्रावणी उपाकर्म' कहलाता है।
इस दिन का महत्व ज्योतिष तथा तंत्र की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा अस्त हो, नीच या शत्रु राशि में हो, वे दूध, चावल, सफेद वस्त्र इत्यादि दान कर अपना दोष दूर कर सकते हैं तथा जिन लोगों का चंद्रमा पत्रिका में अच्छा हो, वे मोती धारण कर चंद्रमा को प्रबल बना सकते हैं।
साधारण जन दुग्ध से रुद्राभिषेक कर हर तरह का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। धन व ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।
(1) 'ॐ चं चन्द्रमसे नम:' का जप तथा हवन या 'ॐ सों सोमाय नम:' का जप-हवन करें।
(2) रुद्र पूजन 'ॐ सोमेश्वराय नम:' का जप करें।
(3) बड़ी बहन, माता, बुआ, मौसी इत्यादि को भेंट देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
(4) महालक्ष्मी मंदिर में या घर पर ही लक्ष्मी पूजन कर दूध, चावल, केला व पंच मेवा से बनी खीर देवी को अर्पण करें तथा बालकों में प्रसाद वितरित करें, तब स्वयं ग्रहण करें।
(5) रात्रि में दूध, चावल, श्वेत पुष्प मिश्रित कर चन्द्रमा को अर्घ्य दें तथा दिन में केवल श्वेत वस्तुएं ही भोजनादि में ग्रहण करें।
(6) यदि सौभाग्यवश गुरु हों तो उन्हें पूजन कर भेंट दक्षिणा आदि अर्पण कर रक्षा-सूत्र बांधें। उनकी कृपा हमेशा बनी रहेगी।
यदि गुरु ब्रह्मलीन हो गए हों तो उनके स्थान, चित्र, प्रतिमा आदि पर पूर्वोक्त कार्य करें, अवश्य लाभ प्राप्त होगा। यह कर्म अति दिव्य है तथा इसके लाभ का उल्लेख शब्दों में नहीं किया जा सकता है।
इस प्रकार इस पर्व को मनाएं तथा अपनी समस्याओं को दूर करें।