यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
- अर्थात् 'हे प्रभु, मैं आपका आवाहन करना नहीं जानता हूं, ना ही विदा करना जानता हूं। पूजा के विधि-विधान भी मुझे नहीं मालूम हैं। कृपा करके मुझे क्षमा करें। मुझे मंत्र याद नहीं हैं और ना ही पूजा की क्रिया मालूम है। मैं तो ठीक से भक्ति करना भी नहीं जानता। फिर भी मेरी बुद्धि के अनुसार पूरे मन से पूजा कर रहा हूं, कृपया इस पूजा में हुई जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा करें। इस पूजा को पूर्ण और सफल करें।