जीवन में सफलता कौन नहीं चाहता। व्यापार, नौकरी में पदोन्नति और आर्थिक लाभ की अभिलाषा सभी में रहती है। साधक अपनी अभिलाषा को पूर्ण करने का हर संभव प्रयास करता है। कई बार सफलता मुंह चिड़ाती सी नज़र आती है। तब निराशा का भाव उत्पन्न होता है। ऐसे में आप गौमती चक्र के प्रयोगों से सफलता की और अपने कदम उठा सकते हैं।
गोमती चक्र समृद्धि, खुशी, अच्छा स्वास्थ्य, धन, मन की शांति और बुरे प्रभावों से बचाता है। रोग के इलाज़ में सहायता, अधिक चेतना, बेहतर भक्ति, समाज में प्रतिष्ठा, वित्तीय विकास, एकाग्रता, व्यापार वृद्धि और पूजा की शक्ति देने में बहुत सहायक है।
गोमती चक्र गोमती नदी में पाए जाने वाले अल्पमौली चक्र होते हैं। यह चक्र केल्शियम से निर्मित होते हैं। इनका रंग कुछ सफ़ेद और पीलापन लिए हुए होता है। किसी-किसी में हल्का कत्थईपन भी होता है। अधिकांश इनका प्रयोग धन प्राप्ति, व्यापार वृद्धि, शीघ्र विवाह तथा शत्रु नाश के उपायों में किया जाता है। यह एक यंत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यदि इनका प्रयोग पूर्ण विश्वास के साथ किया जाए तो असफलता की कोई संभावना नहीं होती है।
यदि आपका ट्रेवलिंग कार्य है किन्तु पर्याप्त आय और सफलता नहीं मिल पा रही, या ऑफिस में पदोन्नति नहीं हो पा रही, हर समय कुछ रुकावटें आ जाती है, तो तीन अभिमंत्रित गौमती चक्र, चांदी के तार में एक साथ बांध कर अपनी जेब में रखें। इसके प्रभाव से आप सफलता प्राप्त करेंगे पर याद रहे कि गोमती चक्र अभिमंत्रित होने चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए और स्थायी आर्थिक समृद्धि के लिए आप किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को 11 अभिमंत्रित गौमती चक्र लें और घर के पूजा स्थान पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाकर सभी गौमती चक्र रख दें। सर्वप्रथम चंदन के इत्र से तिलक करें फिर रौली से तिलक करें।
स्फटिक की माला से 11 माला “श्री महालक्ष्म्यै श्रीयें नम:” का जाप करें। फिर जाप के बाद उठ कर सभी गौमती चक्रों को उसी लाल वस्त्र में ही धन रखने के स्थान तिजोरी आदि में रख दें। आपको आर्थिक तौर पर स्थायी लाभ होने लगेगा।
विवाह के लिए सर्वप्रथम 25 गोमती चक्र लें और किसी गुरुवार को पूजा स्थल पर पीला रेशमी रुमाल बिछाएं। उस पर पीतल की थाली रखेँ। थाली पर केसर व हल्दी मिलाकर तर्जनी उंगली से “ॐ जीवाय नम:, ॐ स्वर्णकायाय नम:, ॐ चतुर्भुजाय नम:” लिखें।
अब आप सभी गोमती चक्र थाली में रखकर उस पर भी हल्दी केसर से तिलक करें। फिर हल्दी की माला से “ॐ बृं बृहस्पत्ये नम:” का जाप करें। जाप के बाद तीन गोमती मंत्र पीले रुमाल के कोने में बांध कर अपने पास रखें (जब तक विवाह न हो जाए)। और थाली में जो आपने मंत्र लिखे थे उनको पानी से धो लें। उस पानी को अपने स्नान के जल में मिलकर स्नान कर लें।
बचे हुए 22 गोमती चक्र को शुद्ध स्थान पर रख दें। एक गोमती चक्र को लेकर किसी निर्जन स्थान पर जाएं और स्वयं पर से 7 बार वार कर दक्षिण दिशा की और फेंक दें। एक चक्र को वार कर बहते जल में प्रवाहित करें। यह कार्य आप उसी दिन करें जिस दिन (गुरुवार) आपने प्रयोग आरंभ किया है।
अब बचे हुए 20 गोमती चक्रों को बीस दिन नियमित रूप से एक एक करके उपरोक्त विधि से अपने ऊपर से वार कर जल में प्रवाहित करते जाएं। जिस दिन आपका यह प्रयोग पूर्ण हो जाए आप किसी भी केले के वृक्ष पर जल में केसर, हल्दी, शहद और गुड को 300 ग्राम बेसन के लड्डू के भोग के साथ अर्पित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुछ समय में आपको स्पष्टत: परिणाम दिखने लगेंगे। विवाह तय हो जाने पर विवाह की रस्म से पूर्व अपने पास में रखें गोमती चक्र जल में प्रवाहित कर दें। या आप विवाह पश्चात भी इन्हें जल में प्रवाहित कर सकते हैं। यह उपाय कन्या और पुरुष दोनों कर सकते हैं।