उल्लू और देश-विदेश की मान्यताएं

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पुराने समय से लोगों का यह विश्वास है कि उल्लुओं को किसी भी आदमी की मृत्यु के समय का पहले से ही पता चल जाता है और तब यह आसपास के पेड़ पर आकर अक्सर बोलने लगते हैं।

उल्लू अपनी आंख और गोल चेहरे के कारण बहुत प्रसिद्ध है। यह बहुत कम रोशनी में भी देख लेते हैं। इसलिए इन्हें रात्रि में शिकार करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। यह एक रात्रिचारी पक्षी है।

इसके बारे में बहुत सारी मान्यताएं प्रचलित है। विभिन्न देशों एवं संस्कृतियों में इस पक्षी से जुड़े शकुन-अपशकुन इस प्रकार हैं : -

- ब्रिटेन में उल्लू के रुखे तथा करूण विलाप से निकट भविष्य में भय या दुर्भाग्य का संकेत समझा जाता है।

- दक्षिण अफ्रीका में उल्लू की आवाज मृत्यु सूचक कहा जाता है।

- कनाडा में उल्लू का तीन रात्रि लगातार किया गया शब्द परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु का सूचक समझा जाता है।

- पोलीनेशिया में गंतव्य दिशा के अनुसार शुभ या अशुभ माना जाता है।

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- अमेरिका के दक्षिण-पश्चिमी भाग में उल्लू दिखाई दे तो अशुभ समझा जाता है।

- चीन में उल्लू दिखाई देने पर पड़ोसी की मृत्यु का सूचक मानते है।

- ईरान में स्वर के मधुर अथवा कर्णपटु होने के अनुसार शुभाशुभ माना जाता है।

- तुर्की में भी उल्लू के शब्द को अशुभ किंतु श्वेत उल्लू को शुभ माना जाता है।

- न्यूजीलैंड में सिवाय बुद्ध परिषद के अन्य मंत्रणाओं के समय उल्लू का शब्द अशुभ समझा जाता है।

- भारत वर्ष में प्रचलित लोक विश्वासों के अनुसार भी उल्लू का घर के ऊपर घत पर स्थि‍त होना तथा शब्दोच्चारण निकट संबंधी की अथवा परिवार के सदस्य की मृत्यु का सूचक समझा जाता है।

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