चार वर्ष बाद शनि जयंती इस बार शनिवार को होगी। वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व अमृत योग के साथ ही रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग भी कई वर्ष बाद बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन शनि से प्रभावित जातकों को विशेष पूजन करना चाहिए।
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को शनि जयंती मनाई जा रही है। इस दिन शनि मंदिरों में विशेष पूजन व अभिषेक का दौर भोर की बेला से देर रात तक चलेगा। ज्योतिषाचार्य पं. रोहित दुबे के अनुसार, इस वर्ष शनि जयंती पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं जो शनि से प्रभावित लोगों के लिए शुभ फलदायक होंगे।
उन्होंने बताया कि जिन जातकों को साढ़ेसाती व अढ़ैया के प्रभाव के साथ ही शनि की महादशा व अंतर्दशा या जन्म कुण्डली में शनि का विषम प्रभाव हो उन्हें इस दिन शनिदेव का तिलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। इसके लिए जातक व शनि भक्तों को मध्यान्ह काल में सरसों का तेल, काली उड़द, काली तिल, कोयला चूर्ण से तिलाभिषेक करना चाहिए। साथ ही इस दिन हनुमानजी के साथ ही पीपल व बरगद के वृक्ष का भी पूजन करना चाहिए। हनुमानजी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर विग्रह का लेपन करना शुभ बताया गया है।
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वर्तमान में सिंह, कन्या व तुला राशि के जातकों पर साढ़ेसाती व मिथुन, कुंभ राशि वालों पर अढ़ैया का प्रभाव चल रहा है। यह दिन शनि साधकों के लिए पूजन के लिए विशेष है। पूजन-अर्चन व अभिषेक से शनिदेव की महती कृपा होती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ज्ञान, बुद्धि एवं प्रगति के स्वामी गुरु का भी शनि के नक्षत्र में होने से इतवार का शनि जन्मोत्सव दिवस आलस्य, कष्ट, विलंब, पीड़ा का नाश करके भाग्योदय कारक बनेगा।
बताया गया कि ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या शनिवार या सोमवार अर्थात सोमवती अमावस्या होने से इसका विशेष महत्व होता है। इसके पहले वर्ष 2003 व 2006 में शनिवार को शनि अमावस्या का योग बना था। जबकि अब 2013 में ही यह संयोग बनेगा।