शनिचरी अमावस्या : ग्रहों का अद्भुत योग

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इस वर्ष 12 जून को शनिचरी अमावस्या पर ग्रहों का अद्भुत योग बन रहा है। कई सालों बाद बन रहे इस योग से तीन राशियों को छोड़कर सभी राशियों के लिए लाभकारी योग बनेगा, जबकि सिंह, मिथुन व कुंभ राशि पर यह योग भारी रहेगा। भगवान सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव को खुश करने के लिए शनिचरी अमावस्या पर तिल, जौ और तेल का दान करनचाहिए, ऐसकरने पर मनोवांछित फल मिलता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित हिंगे के अनुसार इस बार शनिचरी अमावस्या पर विशेष योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्य की द्वितीय पत्नी छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के श्याम वर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नहीं है, तभी से शनि अपने पिता से शत्रुभाव रखते हैं।

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शनिदेव ने अपनी साधना-तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्यदेव की भाँति शक्ति को प्राप्त किया और शिवजी ने शनि को वरदान माँगने के लिए कहा। तब शनिदेव ने प्रार्थना की कि युगों-युगों से मेरी माता छाया की पराजय होती रही है। मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत ज्यादा अपमानित व प्रताडि़त किया गया है। अतः माता की इच्छा है कि मेरा पुत्र शनि अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने।

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तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान रहेगा। मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे। आज के इस भौतिक युग में हर व्यक्ति किसी न किसी परेशानी से व्यथित रहता है। इसका मुख्य कारण ग्रह दोष होता है। ग्रह प्रतिकूल होने के कारण ऐसी परेशानियाँ आती हैं।

ऐसे करें दान : जिन राशियों के लिए शनि अशुभ है, वे खासकर इस अद्भुत योग पर शनि की पूजा करें तो उन्हें शनि की कृपा प्राप्त होगी और अशुभ योगों को टाला जा सकता है। इसलिए शनि को तेल से अभिषेक करना चाहिए, सुगंधित इत्र, इमरती का भोग, नीला फूल चढ़ाने के साथ मंत्र के जाप से शनि की पी़ड़ा से मुक्ति मिल सकती है। शनि की कृपा से ही धन, ऐश्वर्य प्राप्त होगा। शनि न्याय के देवता है।

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